आजादी के पहले से चल रही जीटी एक्सप्रेस,लाहौर तक थी जाती
बेतुलPublished: Sep 14, 2020 09:35:53 pm
आजादी के पहले से चल रही जीटी एक्सप्रेस लॉक डाउन के चलते बंद हो गई थी। सोमवार को टे्रन दिल्ली रवाना हुई। लॉक डाउन के बाद पहली बार जीटी दिल्ली से चलकर चेन्नई पहुंचेगी और मंगलवार सुबह 9.15 बजे बैतूल पहुंचेगी। टे्रन के शुरू होने से जिलेवासियों में ाुशी है
GT Express leaves Delhi on Monday
घनश्याम राठौर
बैतूल। आजादी के पहले से चल रही जीटी एक्सप्रेस लॉक डाउन के चलते बंद हो गई थी। सोमवार को टे्रन दिल्ली रवाना हुई। लॉक डाउन के बाद पहली बार जीटी दिल्ली से चलकर चेन्नई पहुंचेगी और मंगलवार सुबह 9.15 बजे बैतूल पहुंचेगी। टे्रन के शुरू होने से जिलेवासियों में ाुशी है।
आमला स्टशेन के प्रबंधक वीके पॉलीवाल ने बताया कि मार्च के अंतिम सप्ताह में लॉक डाउन के लागू होने के बाद सभी यात्री गाडिय़ों के पहिए थम गए थे, इन्हीं में से एक थी जीटी एक्सप्रेस। 12 सितंबर से पुन: इसके पहियों ने र तार पकड़ ली। दिल्ली से चेन्नई के लिए जीटी एक्सप्रेस मंगलवार को बैतूल स्टेशन पर सुबह 9.15 बजे पहुंचेगी। जीटी एक्सप्रेस के पुन: चलने की सूचना से जिले के लोगों में खुशी का माहौल है। प्रदेश की राजधानी भोपाल व देश की राजधानी नई दिल्ली से संपर्क बनाए रखने के अलावा जिले को उत्तर भारत से दक्षिण भारत तक जोडऩे का भी दायित्व बखूबी निभाया है। चेन्नई और नई दिल्ली के बीच 12615/12616 अब स्पेशल नंबर 02615/02616 से चलने वाली जीटी एक्सप्रेस जिसे ग्रांड ट्रंक एक्सप्रेस भी कहा जाता है।
आजादी के पहले शुरू हुई थी ट्रेन
प्रबंधक पॉलीवाल ने बताया कि जीटी एक्सप्रेस ऐतिहासिक रेलगाडिय़ों में से एक है, जो देश की आजादी के पहले से वर्तमान तक लगातार अपना सफर जारी रखे हुए हैं। सर्वप्रथम अप्रैल 1929 में जीटी एक्सप्रेस ने अपनी यात्रा मैंगलोर से पेशावर के बीच में प्रारंभ की थी। बाद में इसे मैंगलोर से लाहौर तक कर दिया गया एवं कुछ अरसे बाद इसे चेन्नई से नई दिल्ली के बीच कर दिया गया जो अभी तक बदस्तूर जारी है।
ऐसे पड़ा जीटी का नाम
प्रबंधक पॉलीवाल ने बतायाकि नई दिल्ली से पेशावर के बीच एवं बाद में लाहौर तक इसमें कुछ ही डिब्बे जुड़े होते थे एवं जिनकी कल्पना बड़े से ट्रंक (संदूक) से करते हुए इसका नाम “ग्रांड ट्रंक” कर दिया गया। वहीं कु छ लोगों की मान्यता है कि इसके लंबे यात्रा रूट की कल्पना हाथी की लंबी सूंड से करते हुए इसका नाम ग्रांड ट्रंक कर दिया गया।