ग्रामीणों ने बनाया रोजगार का साधन
नदी में दो-दो फीट से अधिक पानी और तेज बहाव होने के चलते यहां से बिना ग्रामीणों की मदद मोटर साइकिल पार कराना संभव नहीं है।ऐसे में आसपास के ग्रामीणों ने जहां इसे अपना रोजगार का साधन बना लिया है। वहीं इस मार्ग पर नदी में तेज बहाव होने के चलते लोगों ने आवागमन कम कर दिया है। हालांकि आमला-सारनी मार्ग से आमला और मुलताई के समीपस्थ ग्रामों में बहुत कम समय में आवागमन हो जाता है। इस वजह से आमला और मुलताई के आसपास के गांवों में निवासरत लोगों औद्योगिक नगरी सारनी, पाथाखेड़ा इसी मार्ग से आवागमन करते हैं क्योंकि इस मार्ग से कम समय पर सफर जल्दी और आसान हो जाता है।
नदी में दो-दो फीट से अधिक पानी और तेज बहाव होने के चलते यहां से बिना ग्रामीणों की मदद मोटर साइकिल पार कराना संभव नहीं है।ऐसे में आसपास के ग्रामीणों ने जहां इसे अपना रोजगार का साधन बना लिया है। वहीं इस मार्ग पर नदी में तेज बहाव होने के चलते लोगों ने आवागमन कम कर दिया है। हालांकि आमला-सारनी मार्ग से आमला और मुलताई के समीपस्थ ग्रामों में बहुत कम समय में आवागमन हो जाता है। इस वजह से आमला और मुलताई के आसपास के गांवों में निवासरत लोगों औद्योगिक नगरी सारनी, पाथाखेड़ा इसी मार्ग से आवागमन करते हैं क्योंकि इस मार्ग से कम समय पर सफर जल्दी और आसान हो जाता है।
पुलिया नहीं बनी तो करेंगे आंदोलन
ग्रामीणों ने पैदल चात्रियों की सुविधा के लिए भले ही लकड़ी की अस्थायी पुलिया बना दी है। लेकिन मोटर साइकिल पार कराने के नाम पर रुपए तो ले ही रहे हैं। बाकुड़ पंचायत के युवा नेता छोटू सिंह उईके बताते हैं कि ग्रामीणों का एक प्रतिनिधि मंडल जल्द ही ठेकेदार से मुलाकात कर अस्थायी पुलिया निर्माण की मांग करेंगे। ग्रामीण का कहना है कि यदि इस बार भी नदी पर पुलिया नहीं बनी तो आसपास के ग्रामीण मिलकर आंदोलन करेंगे। उनका कहना है कि नदी पर अस्थायी पुलिया नहीं होने से आपातकालीन सेवा वाहनों का पहुंचना भी मुश्किल हो गया है।
ग्रामीणों ने पैदल चात्रियों की सुविधा के लिए भले ही लकड़ी की अस्थायी पुलिया बना दी है। लेकिन मोटर साइकिल पार कराने के नाम पर रुपए तो ले ही रहे हैं। बाकुड़ पंचायत के युवा नेता छोटू सिंह उईके बताते हैं कि ग्रामीणों का एक प्रतिनिधि मंडल जल्द ही ठेकेदार से मुलाकात कर अस्थायी पुलिया निर्माण की मांग करेंगे। ग्रामीण का कहना है कि यदि इस बार भी नदी पर पुलिया नहीं बनी तो आसपास के ग्रामीण मिलकर आंदोलन करेंगे। उनका कहना है कि नदी पर अस्थायी पुलिया नहीं होने से आपातकालीन सेवा वाहनों का पहुंचना भी मुश्किल हो गया है।