सांसद के गोद लिए गांव में हंसिया से दागकर कर रहे पेट फूलने का इलाज
बेतुलPublished: Mar 19, 2019 11:39:50 pm
ग्रामीणों में है जागरुकता की कमी
सांसद के गोद लिए गांव में हंसिया से दागकर कर रहे पेट फूलने का इलाज
बैतूल. जिले की सांसद ज्योति धुर्वे के गोद लिए पंचायत के गांव गुराडिय़ा में पेट फूलने का इलाज डॉक्टरों से नहीं कराया जाता है। ग्रामीण अपने बच्चों का इलाज गर्म हंसिए से करते हैं। बच्चों के पेट पर इससे डमा लगा दिया जाता है। गांव में इस तरह से इलाज की परंपरा ही बन गई है।
इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों ने ग्रामीणों की जागरुकता के लिए कोई पहल नहीं की है। मासूम बच्चों को डमे के असहनीय दर्द से जूझना पड़ रहा है जो के अमानवीय है। भीमपुर ब्लॉक के ग्राम गुराडिय़ा में एक वर्ष के अलकेश, दो वर्ष रोहित, आठ माह का बादल, तीन वर्ष का राहुल और एक वर्ष का दीपक, दो वर्ष के रूपेश, तीन वर्ष की संजना ये ऐसे नाम है, जिनके पेट को पेट फूलने की वजह से घर के लोगों ने ही गर्म हसिये से दाग दिए हैं। गांव के 70 वर्षीय माटू का कहना है कि पेट फूलने पर बच्चों का इलाज गांव के लोग इसी तरह करते हैं। इलाज के मामले में ग्रामीण आज भी भगत-भूमका पर ही भरोसा करते हंैं। रंजिना की मां ललिता का कहना है कि गांव में मासूमों को पेट फूलने की बीमारी है। हर कोई बच्चे को गर्म हसिये से दाग लगाता है इसलिए मैंने भी मेरी बेटी को दाग दिया। मासूमों के कमर में बंधे धागे में अलग-अलग रंग के कपड़े टुकड़े बंधे हैं, जो भगत भूमका से इलाज कराने की कहानी बया कर रहे हैं।
इधर सरकारी स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर पंचायत में इलाज के लिए भी कोई सुविधा नहीं है। वहीं जानकारों के मुताबिक बच्चों को इस तरह से डमे लगाना अमानवीय है। पेट फूलने पर इसका इलाज संभव है। डमा लगाने से बच्चों को संक्रमण भी हो सकता है, जिससे जान तक जा सकती है। डमा लगाने से बीमारी ठीक नहीं होती है यह लोगों का भ्रम है।
ग्रामीणों को नहीं किया जागरूक -सांसद ज्योति धुर्वे द्वारा गोद लिए गांव चिखली का ही ढाना ग्राम गुराडिय़ा है। गांव में लगभग २५० मकान है, जिसमें अधिक संख्या में आदिवासी रहते हैं। गांव के बच्चों को पेट फूलने की बीमारी है। ग्रामीण बच्चों का डमा के माध्यम से इलाज करते हैं। जिम्मेदार विभाग के अधिकारी इससे बेखबर है। सांसद द्वारा इस गांव को गोद लिए जाने के बाद भी जागरुकता की भी भारी कमी है।