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बेतुल

निजी निर्माण कार्यों में 33 प्रतिशत फ्लाई एश ईंटों का उपयोग अनिवार्य किया

आदेश के परिपालन में नगरपालिका ने भवन मालिकों और इंजीनियरों को थमाया नोटिस

बेतुलJan 21, 2022 / 06:27 pm

yashwant janoriya

आदेश के परिपालन में नगरपालिका ने भवन मालिकों और इंजीनियरों को थमाया नोटिस

निजी निर्माण कार्यों में 33 प्रतिशत फ्लाई एश ईंटों का उपयोग अनिवार्य किया

बैतूल. फ्लाई एश ईंटों का उपयोग अभी तक सरकारी निर्माण कार्यों के लिए ही अनिवार्य हुआ करता था, लेकिन नगरपालिका ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अधिसूचना का हवाला देते हुए निजी भवन निर्माण कार्यों में फ्लाई एश ईंट को अनिवार्य कर दिया है। भवन अनुज्ञा भी इसी शर्त पर दी जा रही है कि भवन निर्माण में ३३ प्रतिशत फ्लाई एश ईंटों का उपयोग किया जाए। मंत्रालय के आदेश के परिपालन में नगरपालिका ने भवन मालिकों एवं इंजीनियरों को नोटिस भी जारी किए हैं। नोटिस में फ्लाई एश ईंटों का उपयोग किए जाने के लिए निर्देशित किया गया है। फ्लाई एश का उपयोग नहीं किए जाने पर नियमानुसार वैधानिक कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी गई है। इसके अलावा नपा के इंजीनियर स्थल निरीक्षण भी कर रहे हैं।
भवन निर्माण के लिए नक्शा बनाने वाले करीब आधा सैकड़ा निजी इंजीनियरों को नगरपालिका द्वारा नोटिस जारी किए गए हैं। नोटिस में उल्लेखित किया गया है कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अधिसूचना 25 जनवरी, 2016 के प्रावधानों अनुसार निकाय क्षेत्र में निर्मित किए जा रहे भवनों, बहुमंजिला इमारतों में फ्लाई ऐश का उपयोग किया जाना अनिवार्य है। किन्तु स्थल निरीक्षण के दौरान पाया जा रहा है कि आपके माध्यम से प्राप्त की गई भवन अनुज्ञा के प्रकरणों में निर्मित किए जा रहे भवनों, बहुमंजिला इमारतों में फ्लाई ऐश का उपयोग नहीं किया जा रहा है। जो कि पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 का स्पष्ट उल्लंघन है। निर्देशित किया है कि उपरोक्त प्रावधानों एवं भूमि विकास नियम 2012 के नियम 16 (9) के तहत भवन अनुज्ञा के प्रकरणों में निर्मित किए जा रहे भवनों, बहुमंजिला इमारतों में फ्लाई ऐश का उपयोग अनिवार्य रूप से करवाया जाना सुनिश्चित करें। अन्यथा नियमानुसार वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
अभी लाल ईंटों का चलन ज्यादा
निजी भवन निर्माण में फ्लाई एश की अपेक्षा ज्यादातर लोग लाल ईंटों का ही उपयोग करते हैं। लाल ईंटों का उपयोग कई सालों से होता आ रहा हैं इसलिए लोगों का विश्वासन भी इसी पर ज्यादा है। इसकी अपेक्षा फ्लाई एश ईंट राख और सीमेंट के मिश्रण से बनाई जाती है, लेकिन लाल ईटों की अपेक्षा काफी कमजोर होती है। जिसके कारण लोग इसे लगाने से परहेज करते हैं। बारिश के दौरान फ्लाई एश ईंटें घुल जाती हैं जिसके कारण भी लोगों ने इससे दूरी बना रखी हैं। वैसे वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो फ्लाई एश ईंटें लाल ईंटों के मुकाबले काफी मजबूत होती है, लेकिन इसकी मजबूती ईंटों के निर्माण की क्वालिटी पर निर्भर करती हैं। जिले में जिस तरह से फ्लाई एश ईंटों का निर्माण होता हैं उससे ईंटों की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
ईंटों के उपयोग का प्रतिशत नहीं
भवन निर्माण में फ्लाई एश ईंटों का उपयोग अनिवार्य किए जाने के लिए नगरपालिका ने भवन मालिकों (जिनके मकान निर्माणाधीन हैं) को भी नोटिस जारी किए हैं। साथ ही भवन निर्माण अनुज्ञा देने के बाद नपा के इंजीनियरों द्वारा स्थल निरीक्षण भी किया जा रहा है। इस नोटिस में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अधिसूचना का हवाला देते हुए भवन निर्माण में फ्लाई एश का उपयोग अनिवार्य रूप से किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। बताया गया कि अभी तक सरकारी निर्माण कार्यों में ही फ्लाई एश ईंटों का उपयोग किया जाना अनिवार्य होता था लेकिन नगरपालिका के आदेश के बाद अब निजी भवन मालिकों को भी फ्लाई एश ईंटों का उपयोग करना अनिवार्य होगा। हालांकि जारी नोटिस में फ्लाईं एश ईंटों का उपयोग कितना प्रतिशत करना हैं इसका उल्लेख नहीं किया गया है। जिसके कारण नोटिस मिलने के बाद भवन मालिक असमंजस्य में हैं। नगरपालिका के मुताबिक मंत्रालय के आदेश के मुताबिक निजी निर्माण में ३५ प्रतिशत तक फ्लाई एश ईंटों का उपयोग अनिवार्य किया गया है।
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