scriptक्वॉरंटीन में 14 दिन से रह रहे मजदूरों ने बनाना सीखा दोना -पत्तल, बदल दी सेंटर की रंगत,कर सकेंगे स्वरोजगार | Workers living in Quarantine for 14 days learned to make both | Patrika News

क्वॉरंटीन में 14 दिन से रह रहे मजदूरों ने बनाना सीखा दोना -पत्तल, बदल दी सेंटर की रंगत,कर सकेंगे स्वरोजगार

locationबेतुलPublished: Jun 07, 2020 11:06:18 am

Submitted by:

Amit Mishra

महाराष्ट्र से लोटे थे मजदूर।

क्वॉरंटीन में 14 दिन से रह रहे मजदूरों ने बनाना सीखा दोना -पत्तल,  बदल दी सेंटर की रंगत,कर सकेंगे स्वरोजगार

क्वॉरंटीन में 14 दिन से रह रहे मजदूरों ने बनाना सीखा दोना -पत्तल, बदल दी सेंटर की रंगत,कर सकेंगे स्वरोजगार

बैतूल। कोरोना संक्रमण में लॉक डाउन के चलते महाराष्ट्र से लौटे भैंसदेही ब्लॉक के ग्राम धाबा और आसपास के गांव के मजदूरों ने क्वॉरंटीन में रहने के दौरान यहां पर पुताई करके इस सेंटर की रंगत बदल दी। साथ ही यहां पर झाड़ू और दोने पत्तल बनाना भी सीखा। क्वॉरंटीन सेंटर में एक तरीके से स्वरोजगार के नए साधन सीखें। लॉक डाउन के चलते भैंसदेही ब्लाक के ग्राम धाबा, जनोना और चिचढाना के लगभग 12 मजदूर महाराष्ट्र से लौटे थे। इन मजदूरों को धाबा में ही जनजाति बालक छात्रावास में बनाए गए क्वॉरंटीन सेंटर में रुकवाया गया था। 14 दिन तक यहां पर रुके इन मजदूरों ने छात्रावास की रंगत ही बदल दी। छात्रावास की पुताई की। साथ ही झाड़ू और दोने पत्तल बनाना भी सीखा।

 

 

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पुताई का काम पूरा कर दिया
पुताई करने वाले रामलाल और गंगाराम ने बताया कि उन्हें पुताई का काम पहले से आता था। छात्रावास की हालत देखकर अधीक्षक से बात की तो वह पुताई करवाने के लिए राजी हो गए। अधीक्षक द्वारा पुताई की सामग्री उपलब्ध कराई गई। जिससे 3 से 4 में दिन में छात्रावास की पुताई का काम पूरा कर दिया।

झाड़ू बनाना सिखाया
इसी प्रकार क्वॉरंटीन सेंटर में ही रहने वाले रोहित को दोना पत्तल बनाना आता था। रोहित ने सेंटर में रह रहे सभी लोगों को दोना पत्तल बनाना सीखा दिया। मजदूर दिनेश ने सभी को झाड़ू बनाना सिखाया। अधीक्षक रामनरेश दोहरे ने बताया कि छात्रावास में सेंटर में रहे मजदूरों द्वारा भवन की पुताई की है। जिससे लगभग 10 हजार का खर्चा बच गया। सेंटर में रहे लोगों ने खुद ही छात्रावास की सफाई की और यहां पर रोजाना काम भी किया। पुताई से छात्रावास की रंगत बदल गई है।

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कर सकेंगे स्वरोजगार
क्वॉरंटीन सेंटर में रहने वाले आकाश मेहरा, विलास उइके ने बताया कि यहां पर रहने के दौरान हमने झाड़ू दोना पत्तल बनाना सीखा है। जिससे कि हम भविष्य में अपनाकर स्वरोजगार भी कर सकते हैं। वही काम करने वाले मजदूर ने बताया कि छात्रावास की पुताई करके उन्हें बहुत अ’छा लग रहा है कि जहां पर रहे वहां कुछ करके जा रहे हैं। काम करने वाली महिलाओं ने बताया कि यहां पर काम करके बहुत खुशी मिली है। सेंटर में 14 दिन तक सभी लोग बहुत ही अ’छे से रहे। यहां पर किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं। इस तरह से छात्रावास लोगों के लिए एक मिसाल बन गया है।

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