भदोही की तरह ही जम्मू कश्मीर में भी कालीन उद्योग का है बड़ा कारोबार।
जम्मू कश्मीर में हाई नॉट की बेहतरीन और कीमती कालीनें बनती हैं, भदेही में लो नॉट की कालीनों का होता है निर्माण, जो फिलहाल हैं डिमांड में।
कारपेट इंडस्ट्री भदोही
महेश जायसवालभदोही . केंद्र सरकार द्वारा धारा 370 हटाये जाने के बाद कश्मीर में रोजगार के जरिये खुशहाली का रास्ता भदोही के कालीन उद्यज्ञोग से निकल सकता है। क्योंकि कश्मीर और भदोही दोनों ही जगहों पर कालीन एक सांस्कृतिक विरासत और परम्परा है। ऐसे में तकनीक का आदान-प्रदान कर कश्मीर में कालीन के जरिये रोजगार को बढ़ावा दिया जा सकता। कश्मीर में हाई क्वालिटी के बेहद महंगे हस्तनिर्मित कालीन बनते हैं, जिसकी मांग में भारी कमी आयी है। ऐसे में भदोही के कालीनों का निर्माण कश्मीर में होने से वहां के लोगों को रोजगार मिल सकता है। भदोही और कश्मीर कालीन के बड़े निर्माता है। यहां की अर्थव्यस्था कालीन निर्यात और निर्माण पर निर्भर है। यह दोनों की सांकृतिक विरासत है, ऐसे में दोनों के बीच की दूरी कम होने से देश को कश्मीर से जोड़ने में कालीन उद्योग एक अहम भूमिका निभाएगा।ते हैं। इससे वहां रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
भदोही के कालीन उद्योग से जुड़े लोग सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए हुए मानते हैं कि कालीन दोनों जगहों की सांस्कृतिक विरासत है। लाखों लोगों ने इस रोजगार से जुड़कर कला और संस्कृति के साथ इस हस्तकला से पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनायी है। धारा 370 के चलते जहां कश्मीर में बेरोजगारी बढ़ी और वहां के उद्योग धंधे पर प्रतिकूल असर पड़ा है, जिसके चलते यह उद्योग वहां सिमटता जा रहा है और लोग बेरोजगार हो रहे हैं। अब केंद्र सरकार के निर्णय से भदोही में बनने वाले कालीन और कश्मीर में बनने वाले कालीन के बीच व्यापार बढ़ सकता है। वहीं दोनों के बीच तकनीकी का आदान प्रदान भी हो सकेगा।
भदोही में जहां लो नॉट का कालीन बनता है वहीं कश्मीरी कारीगर बेहतरीन क्वालिटी के हाई नॉट रेशमी कालीन बनाते हैं। पर इन दिनों कश्मीर के कालीन की मांग लगातार घट रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि दोनों के बीच की दूरी घटने से दोनों अपने कालीन के निर्माण और निर्यात में सहयोग करेंगे तो इससे दोनों जगह रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। लोगों का मानना है इनके बीच कालीन एक पुल का काम काम करेगा। अब तक देश 370 की वजह से कटे इस राज्य में कालीन नए अवसर के पैदा करेगा। इसे लेकर भारतीय कालीन प्रौधोगिकी संस्थान के निदेशक आलोक कुमार का मानना है कि भदोही और कश्मीर के कालीन की तकनीक आपस मे ट्रांसफर कर रोजगार बढ़ाया जा सकता है। कश्मीर में हाई नॉट का कालीन बनता है और ऐसे में वहां के लोग यहां की लो नॉट कालीनों को आसानी से और कम समय मे बना सक