1994 में बना था भदोही जिला
वाराणसी से अलग कर भदोही जिले की स्थापना 30 जून 1994 को उत्तर प्रदेश के 65वें जिले के रूप में हुई थी। इसका शुमार यूपी के सबसे छोटे जिलों में होता है। कालीन यहां का मुख्य उद्योग है। कहा जाता है कि यहां 16वीं सदी से पहले से कालीन का काम होता चला आ रहा है। यह कला मुगलों के साथ भारत आई थी। नया जिला बनने के बाद बसपा शासन काल में मायावती ने इसका नाम संत शिरोमणि रविदास के नाम पर संत रविदास नगर रख दिया। हालांकि 2014 में तत्कालीन सपा सरकार में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जिले का नाम बदलकर फिर से भदोही कर दिया। पर सरकारों ने यहां रुके पड़े विकास कार्यों की सुधि नहीं ली।
2008 में रखी गई थी जिला अस्पताल की नींव
12 साल पहले बसपा शासनकाल में भदोही की ज्ञानपुर तहसील स्थित जिला मुख्यालय सरपतहां में 100 बेड के जिला असप्ताल की नींव रखी गई थी। यह अस्पताल 14 करोड़ रुपये में 2012 तक बनकर तैयार होना था। खूब जोर शोर से इसका प्रचार-प्रसार हुआ और जिलावासियायें को उम्मीद जगी कि चंद सालों में उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं जिले में ही मिल जाएंगी। इसके लिये बनारस या इलाहाबाद नहीं जाना होगा। सरकारें बदलती रहीं, लेकिन वादों और आश्वासनों के अलावा कुछ नहीं मिला। 12 साल बाद आज भी भदोही जिला अस्पताल बनकर तैयार नहीं हुआ।
बढ़ गयी लागत
2008 में जब भदोही के 100 बेड के जिला अस्पताल की नींव रखी गई थी तब इसकी लागत 14 करोड़ रुपये थी। इसे 4 साल में बनकर तैयार होना था। पर निर्माण कार्य दूसरे सरकारी कामों की तरह लेट लतीफी की भेंट चढ़ गया। इस बीच 2012 और 2017 में सत्ता परिवर्तन हो गया, लेकिन भदोही जिला अस्पताल का निर्माण पूरा नहीं हो सका। हालत ये कि निर्माण कार्य की लागत 14 करोड़ से बढ़कर 18 करोड़ हो गई। बाद में शुरू हुए निर्माण कार्य पूरे हो गए पर अस्पताल बनकर तैयार नहीं हुआ।
निर्माण कार्य में हुआ घोटाला
भदोही जिला अस्पताल निर्माण भी घोटाले से बच नहीं सका। निर्माण लागत 14 से बढ़कर 18 करोड़ रुपये पहुंच गई और 90 फीसदी बजट भी खर्च हो गया। पर जब इसका भौतिक सत्यापन हुआ तो 8 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया। घोटाला पकड़ में आने के बाद अस्पताल का निर्माण करा रही राजकीय निर्माण निगम के अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज हुई। भाजपा की सरकार ने इस पूरे मामले में एसआईटी की जांच गठित कर दी जांच के बाद इस मामले में जिम्मेदार कुछ लोग जेल भी गए।
तीसरी लहर के पहले निर्माण पूरा करने की मांग
अस्पताल की नींव पड़ने के 12 वर्षों बाद भी इसका निर्माण पूरा नहीं हो सका है। इसके कारण जनपद वासियों की चिंताएं बढ़ी हुई हैं। अगर यह अस्पताल शुरू हो जाता तो इसका भदै पैमाने पर लोगों को लाभ मिलता। अब लोग चाहते हैं कि कोरोना के तीसरी लहर से पहले इस अस्पताल का निर्माण पूर्ण करा दिया जाय। इंसक संचालन हो ताकि लोगों को इसका लाभ मिले।
जिले में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा की जरूरत
जिले में महाराजा चेतसिंह अस्पताल और भदोही शहर में महाराजा बलवंत सिंह अस्पताल को जिला अस्पताल का दर्जा प्राप्त है लेकिन यहां वह सुविधाएं नहीं हैं जो दूसरे जिलों के जिला अस्पताल में हैं। इन अस्पतालों में तमाम सुविधाओं का अभाव है जिसके कारण भारी संख्या में मरीज यहां से रेफर कर दिया जाते हैं। ऐसे में अगर अस्पताल जिला अस्पताल शुरू हो जाएगा तो लोगों को इसका लाभ मिलेगा।
ट्वीटर पर भी ट्रेंड हो रही मांग
12 साल से अधूरे पड़े भदोही जिला अस्पताल के निर्माण को पूरा कराने की मांग ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है। जनपद वासियों ने इसे लेकर सोशल मीडिया पर अभियान चलाया है। हजारों की संख्या में ट्वीट करके लगातार पीएम-सीएम से निर्माणाधीन जिला अस्पताल के निर्माण को पूरा करा कर जल्द से जल्द इसके संचालन की मांग कर रहे हैं।