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क्या है साढ़े 12 हजार का ऑक्सीजन सिलेंडर 54 हजार में खरीदने का मामला

locationभदोहीPublished: May 31, 2021 06:50:59 pm

यूपी के भदोही में साढ़े 12 हजार का ऑक्सीजन सिलेंडर 54 हजार रुपये में खरीदने का आरोप लगा है। जिला प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दे दिये हैं।

oxygen cylinder

ऑक्सीजन सिलेंडर गोलमाल

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

भदोही. ऑक्सीजन सिलेंडर पहले 54 हजार रुपये में खरीदा गया, फिर दोबारा खरीद हुई तो इसकी कीमत 19 हाजर रुपये हो गई। हालांकि पड़ोसी जिले में इससे भी कम 12 हजार 400 रुपये में खरीदा गया। सरकारी स्तर पर भदोही में स्थानीय प्रशासन की ओर से ऑक्सीजन सिलेंडर की खरीद के इन्हीं आंकड़ों के सामने आने के बाद हो हल्ला मचा हुआ है। विपक्षी पार्टियां इसे सीधे-सीधे ऑक्सीजन सिलेंडर घोटाला बताने से नहीं चूक रही हैं तो अधिकारी मामले की जांच की बात कह रहे हैंं। ये मामला अब भदोही से लखनऊ तक चर्चा का विषय बना हुआ है। आम आदमी पार्टी ने इसे मुद्दा बनाते हुए लपक लिया और मामले में भदोही सीएमओ पर गंभीर आरोप लगाते हुए इसे ऑक्सीजन सिलेंडर घोटाला बताने की कोशिश की। उधर जिलाधिकारी ने जांच सीडीओ को सौंप दी है और माना जा रहा है कि अगर ठीक से जांच की गई तो कई लोगों की गर्दन फंस सकती है।


पूरा मामला समझिये

बीते साल 2020 में कोरोनावायरस महामारी आने के बाद भारत में जब संक्रमण तेजी से बढ़ा तो देश भर में कोविड मरीजों के इलाज के लिये जरूरी उपकरण खरीदे गए। भदोही में भी स्थानीय स्तर पर ऑक्सीजन सिलेंडर की खरीद की गई। तब भदोही में 40 ऑक्सीजन सिलेंडर 54,000 रुपये प्रति सिलेंडर की दर से खरीदे गए। पर जब 2021 में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर बेकाबू हुई और ऑक्सीजन की किल्लत होने लगी तो 135 ऑक्सीजन सिलेंडर फिर खरीदे गए। पर इस बार जेम पोर्टल से एक सिलेंडर 19,500 रुपये में खरीदा गया। दोनों कीमतों में जमीन आसमान का फर्क हुआ। पर सबसे हैरानी की बात यह कि ऐसा ही सिलेंडर भदोही से 30 किलोमीटर दूर मिर्जापुर जिले में जिला प्रशासन ने महज 12,400 रुपये प्रति सिलेंडर के रेट पर खरीदा। खुद सीएमओ ने भी कैमरे के सामने स्वीकार किया कि 54 हजार में सिलेंडर खरीदे गए थे।


फिर उसी रेट पर चाहते थे खरीद

जानकारी के मुताबिक कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान दोबारा ऑक्सीजन लिसेंडर की खरीद भी स्वास्थ्य विभाग उसी रेट पर करना चाहता था। इसके लिये जिलाधिकारी से भी पूछा था। पर जिलाधिकारी ने सिलेंडर का रेट कन्फर्म करने के लिये एक परीक्षण कमेटी बना दी। आदेश दिया कि पता करके बताएं कि ऑक्सीजन सिलेंडर का वास्तविक रेट क्या है। इसके चलते पुराने रेट पर खरीद नहीं हो सकी।


ऐसे खुला मामला

पहली बार महंगा और दूसरी बाद उससे करीब तीन गुना सस्ता ऑक्सीजन सिलेंडर खरीद का मामला भी स्वास्थ्य विभाग की गलती से ही खुला। दूसरी बार उसी रेट पर खरीद की अनुमति मिलने के बजाय उसकी वास्तविक कीमत का पत लगाने के लिये परीक्षण कमेटी बना दी गई। जांच कर वास्तविक कीमत का पता लगाया जाता, उसके पहले ही भदोही में जेम पोर्टल के जरिये 135 ऑक्सीजन सिलेंडर की खरीद कर ली गई। पर इस बार 54,000 के बजाय एक सिलेंडर का रेट 19,500 रुपये थे। जल्दबाजी में की गई इस गलती से मामला खुल गया।


क्या दोबारा पुराने और नाइट्रोजन सिलेंडर खरीदे गए थे

सिर्फ रेट को लेकर ही नहीं बल्कि आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने आरोप लगाया है कि पेंट किये हुए पुराने और नाइट्रोजन सिलेंडर खरीदे गए। सूत्रों के मुताबिक जो सिलेंडर रिफिलिंग के लिये भेजे गए थे उन्हें एजेंसी ने नाइट्रोजन सिलेंडर बताकर लौटा दिया था। हालांकि इस आरोप पर सीएमओ का कहना है कि तकनीकी जानकारी न होने के चलते हमें पता नहीं चला। बाद में जानकारी होते ही उसे वापस कर दूसरे सिलेंडर मंगाए गए।


प्रशासन क्या कह रहा है

भदोही में ऑक्सीजन सिलेंडर खरीद में गोलमाल सामने आने के बाद अब जांच कर मामले की तह तक जाने और दोषियों पर कार्रवाई की बात कही जा रही है। जिलाधिकारी आर्यका अखाैरी ने सीडीओ भानु प्रताप सिंह को जांच सौंप दी है। माना जा रहा है कि जांच में कई लोग फंस सकते हैं। सीडीओ ने कहा है कि जांच कर दो दिन में रिपोर्ट जिलाधिकारी को दे दी जाएगी। जिला प्रशासन की ओर से एक स्पष्टीकरण भी जारी किया गया है कि अभी जो खरीद की गई है वह शासनादेश का पालन करते हुए की गई है।

 

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ऑक्सीजन सिलेंडर कालाबाजारी में पकड़े़े गए आरोपी IMAGE CREDIT:

 

ऑक्सीजन की कालाबाजारी में भी गिरफ्तारी

इसके पहले ऑक्सीजन संकट के दौरान भदोही में क्राइम ब्रांच ने दो निजी सप्लायरों को ऑक्सीजन सिलेंडरों की कालाबाजारी करने के आरोप में गिरफ्तार किया थ। आरोप है कि ये लोग सरकारी कोटे के ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी करते थे। इस मामले की जांच की जा रही है, लेकिन अभी तक दोनों निजी सप्लायरों की गिरफ्तारी के अलावा मामले में पुलिस के हाथ किसी और के गिरेबान तक नहीं पहुंच सके हैं। हालांकि मामले में कमिश्नर भी काफी सख्त थे और कड़ी कार्रवाई की बात कही थी।

By Mahesh Jaiswal

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