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भदोही लोकसभा सीट: भाजपा के लिए आसान नहीं है राह, बसपा से मिलेगी कांटे की टक्कर

locationभदोहीPublished: Mar 27, 2019 02:01:14 pm

Submitted by:

sarveshwari Mishra

कालीन नगरी के नाम से विश्वविख्यात है यूपी का भदोही जिला

Bhadohi

भदोही लोकसभा सीट

महेश जायसवाल

भदोही. कालीन नगरी के नाम से जाना जाने वाला भदोही उत्तर प्रदेश के 80 संसदीय क्षेत्रों में से एक है। अपनी मनमोहक कालीन निर्माण और हस्तकला के लिए विश्वविख्यात है। यहां बड़े पैमाने पर कालीन उद्योग का काम किया जाता है। क्षेत्रफल के लिहाज से यह उत्तर प्रदेश का सबसे छोटा जिला है और ज्ञानपुर शहर इसका जिला मुख्यालय है। यह गंगा नदी के मैदानी इलाके में स्थित है, जो जिले की दक्षिण-पश्चिम सीमा का निर्माण करता है। गंगा के अलावा वरुणा और मोर्वा यहां की प्रमुख नदियां हैं। भदोही जिला उत्तर में जौनपुर से, पूर्व में वाराणसी से, दक्षिण में मिर्जापुर से और पश्चिम में प्रयागराज से घिरा हुआ है।

लोकसभा चुनाव सामने है और ऐसे में एक बार फिर भदोही के सीट पर जीत को लेकर तमाम राजनीतिक दलों के बीच वार पलटवार शुरू हो गया है। बीते पांच वर्षो की बात करें तो कालीन नगरी में मुख्‍य सड़को सहित ग्रामीण मार्गो में बड़ा बदलाव देखने को मिला। स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा और जल संरक्षण से जुड़े कई कार्य कराए गए लेकिन अभी भी बुनकरों के विकास के लिए योजनाएं बनाने, यातायात को सुगम बनाने के लिए गंगा घाट पर पुल के साथ, शिक्षा के क्षेत्र में महाविद्यालय को विश्वविद्याल बनाने के साथ तमाम ऐसे जरूरते हैं जिसको जमीन पर लाना बाकी है।

वर्तमान में यहां से भाजपा से वीरेन्‍द्र सिंह मस्‍त सांसद हैं। वे भाजपा किसान मोर्चा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष भी हैं। इसके पहले भदोही लोकसभा क्षेत्र मिर्जापुर के अंतर्गत आता था और तब भी वीरेन्‍द्र सिंह इस सीट से दो बार सांसद चुने गए। इस सीट पर पूर्व दस्‍यू सुंदरी फूलनदेवी और भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के कैबीनेट में शामिल पं श्‍याम धर मिश्र भी सांसद बने। भदोही लोकसभा सीट का चुनाव छठे चरण में 12 मई को होना है ऐसे में गठबंधन के तहत बसपा के खाते में गयी इस सीट पर मायावती ने जहां पूर्व मंत्री रंगनाथ मिश्रा को लोकसभा प्रभारी बनाया है तो वहीं मौजूदा सांसद वीरेन्‍द्र सिंह एक बार फिर चुनावी मैदान में ताल ठोंकने की तैयारी के साथ टिकट के लिए सक्रिय हैं।
बुनकरों की स्थिति
कालीन के बुनाई करते समय किसी की अंगुली तिरछी हो गई तो अभी तक सीधी नहीं हो सकी तो किसी कि कमर। सरकार आई और पांच साल के बाद बदल गई लेकिन बुनकरों की समस्याओं को लेकर किसी ने कभी भी योजना तैयार नहीं की। गत वर्ष भारत सरकार ने बुनकरों को पेंशन दिलाने के लिए सर्वे कराया तो कालीन नगरी की पोल खुल गई। जिले भर में करीब तीन हजार बुनकर ही मिले। कई सरकारें आई और गई लेकिन आज भी कालीन नगरी में कालीन उद्योग को लेकर बुनकरों की स्थिति बद से बदतर है।
कालीन
 

हस्‍तनिर्मित कालीनों के लिए विश्‍व विख्‍यात कालीन नगरी भदोही विदेशों में कालीन निर्यात कर हजारो करोड़ की विदेशी मुद्रा अर्जित करता है लेकिन यहां के बुनकर आज भी उस उंचाई पर नहीं पहुंच सके जिसकी उनको दरकार थी। चुनाव आते जाते रहे और चुनावों में तमाम दलों और उनके नेताओं ने बुनकरों के हालात को सुधारने का वादा किया लेकिन चुनाव बीतने के बाद वो वादा हवा हवाई रहा और यहा के बुनकर बदहाल होकर इस उद्योग के किनारा करने लगे।
जातिगत आंकड़ा
2014 में मोदी लहर में जीत का परचम लहराने वाले वीरेन्‍द्र सिंह के सामने इस बार क्षेत्र की जातीय गणित के आगे अपना टिकट बचा पाना एक बड़ी चुनौती है। लोकसभा की पांच विधानसभा में भदोही, ज्ञानपुर, औराई के साथ प्रयागराज जनपद की दो सीट हंण्डिया व प्रतापुर में कुल 19 लाख से अधिक मतदाताओं में दस लाख से अधिक पुरूष और साढ़े आठ लाख से अधिक महिला मतदाताओं की संख्‍या में सबसे अधिक संख्‍या क्रमश: ब्राम्‍हण, विंद, दलित व मुस्लिमों की हैं। इस आधार पर भाजपा से ब्राम्‍हण और विंद विरादरी के नेता भाजपा से टिकट की मांग कर रहे हैं। लेकिन माना जा रहा है कि संघ का मजबूत बैकअप होने के कारण वीरेंद्र सिंह को टिकट मिल सकता है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
भदोही संसदीय क्षेत्र में भदोही लोकसभा स्‍वतंत्र रूप से 2009 में गठित हुआ और यहां से पहले सांसद बसपा से गोरखनाथ पाण्‍डेय हुए। उन्होंने सपा के छोटेलाल भिंड को 12,963 मतों के अंतर से हराया था. उस समय कुल 13 लोग मैदान में थे। इस चुनाव में बीजेपी पांचवें स्थान पर रही थी और उसे महज 8.76 फीसदी मत मिले थे। कांग्रेस के सूर्यमणि त्रिपाठी तीसरे और अपना दल के रामरती चौथे स्थान पर रहे।
वीरेंद्र सिंह मस्त
 

भदोही लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले विधानसभा
भदोही लोकसभा क्षेत्र में 5 विधानसभा क्षेत्र (भदोही, ज्ञानपुर, औराई, प्रतापपुर और हंडिया) आते हैं जिसमें एक सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व की गई है। इन 5 विधानसभा क्षेत्रों में से प्रतापपुर और हंडिया विधानसभा क्षेत्र पहले फूलपुर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आते थे अब भदोही संसदीय क्षेत्र में आ गए हैं। जबकि शेष 3 विधानसभा क्षेत्र पहले से ही मिर्जापुर संसदीय क्षेत्र में पड़ते थे।
भदोही जिले के ग्रामीणों का ओपिनियन
लोकसभा चुनाव में जहां सभी राजनीतिक दल अपने चुनावी मुहिम को धार देने में जुटे हैं तो वहीं जनता का भी अपना एक अलग मिजाज है। पॉवर वाले चश्मे में कमजोर हो रही आंखों की रोशनी में नई जान भरने वाले ऑप्टिशियन अरविंद मौर्य का कहना है कि 2014 वाली बात इस बार नहीं है जिसका खामियाजा भाजपा प्रत्याशी को उठाना पड़ सकता है। सांसद वीरेन्द्र सिंह राष्ट्रीय नेता होने के कारण क्षेत्र की जनता को समय नहीं दे सके जिससे जनता में उनके प्रति नाराजगी हो सकती है।
वहीं स्टेशनरी के दुकानदार राजेन्द्र मालवीय का कहना है कि चुनाव में लहर मोदी की है, प्रत्याशी जो भी होगा मोदी के नाम पर ही आगे बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि भाजपा के वीरेन्द्र सिंह और बसपा के रंगनाथ के बीच मुकाबला होता है तो स्थानीय मुद्दों पर रंगनाथ मिश्रा का पलड़ा भारी हो सकता है जबकि राष्ट्रीय मुद्दे पर लोगों को पीएम मोदी से उम्मीदे अधिक हैं।
Bahubali Vijay Mishra
 

भदोही के बाहुबली विजय मिश्रा यहीं से चार बार रह चुके हैं विधायक
यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में मोदी लहर में जहां एक ओर बड़े-बड़े दिग्गज नेता हार रही थी, वहीं भदोही जिले के ज्ञानपुर सीट पर बाहुबली नेता व विधायक विजय मिश्र ने लगातार चौथी बार जीत हासिल की थी। बाहुबली विधायक विजय मिश्र अपना अजय रिकॉर्ड बनाये हुए हैं। 2017 में निषाद पार्टी से विजय मिश्र ने 66448 वोट पाए थे। बता दें कि विधायक विजय मिश्र इस बार सपा से टिकट कटने के बाद पार्टी से बगावत करते हुए निषाद पार्टी से चुनाव मैदान में उतरे थे।
भदोही की ज्ञानपुर सीट से निर्दलीय विधायक विजय मिश्रा भदोही से कांग्रेस ब्लॉक प्रमुख के रूप में तीन दशक पहले राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की थी। ज्ञानपुर सीट से 2002, 2007 और 2012 में विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के टिकट से जीता था।
By-Mahesh Jaiswal

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