इस खबर के वायरल होने के बाद जिले में ब्राम्हण बनाम राजपूत की राजनीति को रंग दिए जाने से जिले की सियासत को गर्म हो गयी है। इस मैसेज को 2019 के चुनाव के तौर पर बड़े हथियार के तौर पर भी देखा जा रहा है। पत्रिका ने वायरल मैसेज की पड़ताल करते हुए मैसेज में पीडि़त बताए गए काशी प्रांत के पदाधिकारी अशोक तिवारी से बात की।
बातचीत में अशोक तिवारी ने जो भी बाते बतायीं वह काफी चौंकाने वाला था। उन्होने सांसद द्वारा थप्पड़ मारे जाने और उनके समर्थकों द्वारा पीटे जाने खबर को झूठा बताते हुए कहा कि, उनके साथ कोई मारपीट नहीं की गई थी। लेकिन उन्होंने बताया कि, वहां इस तरीके की बात हुई थी कि विवाद बढ़ गया था लेकिन मौके पर उपस्थित पार्टी के नेताओं के हस्तक्षेप से मामला वहीं शांत हो गया।
उन्होंने इस बात पर जोर देते कहा कि अगर उन्हें थप्पड़ मारा जाता तब उनके जीने का कोई अर्थ नही रह जाता। पूरे विवाद को लेकर उन्होने ने बताया कि, कारपेट मार्ट में काशी प्रांत की बैठक में सीएम योगी को शामिल होना था।इसलिए पार्टी ने उन्हे और अन्य पदाधिकारियों को तैयारियों का जिम्मा सौंपा था। जब वो पार्टी के लोगों के साथ तैयारियों में जुटे थे तब वहां पहुंचे सांसद से तैयारियों से जुड़ी बातों को लेकर विवाद की स्थति पैदा हो गयी थी।
बातचीत में उन्होंने कहा कि, सोशल मीडिया पर वायरल खबर सिर्फ चर्चाओं पर आधारित है। इस बारे में किसी ने उनसे जानकारी करने की कोशीश नहीं किया। पत्रिका संवाददाता से उन्होंने कहा कि, आप पहले व्यक्ति हैं जो इस मामले पर उनसे जानकारी ले रहे हैं और वे चाहते हैं कि, जो सही बाते हैं उसे लोग जरूर जाने। वहीं इस मामले को लेकर भाजपा सांसद के प्रतिनिधि शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि, गलतफहमी के वजह से बहस हो गयी थी बाद में भ्रम दूर कर लिया गया। पड़ताल में यह सच्चाई सामने आने के बाद इस खबर पर भले ही सियासी विराम लग जाय, लेकिन 2019 तक के चुनाव तक सोशल मीडिया से राजनीति को को प्रभावित करने के तमाम मामले आते रहेंगे।
input महेश जायसवाल