कृषि विभाग जिले में पहली बार मणिपुर से ब्लैक राइस का बीज मंगाकर इसकी खेती करवाई है। भदोही जिले के सुरियावां ब्लाक के पूरेमनोहर अभिया वन गांव के प्रगतिशील किसान पहली अनिल सिंह ने पहली बार इसकी खेती की है। जिले में सिर्फ एक किसान ने यह खेती किया है। किसान अनिल सिंह ने बताया कि हमने धान की फसल में किसी प्रकार के रासायनिक उर्वरक का उपयोग नहीं किया है। लेकिन धान की फसल में अब वालिया आ रही हैं, पूरी फसल लहलहा रही है।
किसान ने बताया कि अभी हमने प्रयोग के तौर पर इसकी खेती थोड़े से हिस्से पर किया है। यह खेती पूरी तरह आर्गेनिक यानी जैविक पद्धति पर आधारित है। हमने जिन खेतों में रसायानिक खाद का उपयोग किया है, उसकी अपेक्षा ब्लैक राइस की फसल कई गुणा अच्छी है। इसकी लंबाई चार फीट तक पहुंच गयी है। जबकि सिर्फ घरेलू गोबर की खाद डाली है। किसान ने बताया कि अभी से एक कंपनी ने मुझसे संपर्क किया और ढ़ाई सौ रुपये किलों तक का भुगतान करने के लिए तैयार है।
भदोही जिले के कृषि उपनिदेशक अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि यह सुगर जैसे बीमारी को भगाने में बेहद उपयोगी है। रिसर्च से इसकी गुणवत्ता साबित हो गई है। यह एंटी आक्सीडेंट गुणों से भरपूर है। यह पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर राज्य की स्थानीय प्रजाति है। 135 दिन में तैयार हो जाती है। हमने मणिपुर से पांच किलो बीज मंगाया था। अगर आपको डायबिटिज की बीमारी है तो ब्लैक राइस के उपयोग से यह बीमारी आपको नहीं होगी, बीमारी है भी तो यह खत्म हो जायगी। किसान ने फसल की उपज जैविक पद्धति से किया है तो इसकी मांग बाजार में बढ़ जाती है। जिसकी किसान को अच्छी आय मिलती है। यह किसानों के लिए यह वरदान है।
भदोही जिले में इसकी खेती प्रयोग के तौर पर पहली बार की गयी है। ब्लैक राइस की खेती सबसे पहले असम और मणिपुर में शुरु की गयी। इसके बाद अब यह पंजाब, पश्चिमी यूपी और दूसरे राज्यों में खूब पसंद आ रही है और किसानों की आय का अच्छा जरिया साबित हो रही है। यह किसानों की आय सुधार में बेहद लाभकारी फसल है।