scriptजीएसटी के विरोध में उतरा कालीन उद्योग, सरकार के फैसले के खिलाफ मार्च की तैयारी  | Carpet Exporters again government decision on GST News IN Hindi | Patrika News

जीएसटी के विरोध में उतरा कालीन उद्योग, सरकार के फैसले के खिलाफ मार्च की तैयारी 

locationभदोहीPublished: Jul 16, 2017 07:01:00 pm

Submitted by:

Ashish Shukla

बुनकरों मजदूरों पर 18 फीसदी टैक्स पर उद्योग में विरोध, विरोध में तेजी से एकजुट हो रहे कालीन निर्यातक

carpet industry

carpet industry

भदोही. जीएसटी को लेकर जहां देश भर में कपड़ा व्यापारी विरोध में हैं तो वहीं कालीन उद्योग में भी बुनकरों मजदूरों पर लगाये गए 18 फीसदी टैक्स का विरोध हो रहा है। सरकार द्वारा जीएसटी न हटाये जाने पर कालीन उद्योग ने विरोध में मार्च निकलने पर विचार किया है। 19 जुलाई को अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ के आह्वान पर कालीन निर्यातक भदोही शहर में कालीन भवन से तहसील तक विरोध मार्च निकलेंगे। 


इसे लेकर अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ की एक बैठक हुई जिसमें उद्योग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक में कालीन निर्माण की प्रक्रिया से जुड़े बुनकरों एवं मजदूरों पर 18 फीसदी की दर से आरोपित जीएसटी पर चिंता व्यक्त की गई। बैठक में निर्णय लिया गया कि बुनकरों, कारीगरों, मजदूरों पर जीएसटी वापस नही लिया गया तो उद्योग समाप्त हो जाएगा। ऐसे में उद्योग को बचाने के लिए जीएसटी के विरोध में मर्यादपट्टी स्थित कालीन भवन से भदोही तहसील तक निर्यातक मार्च निकलेंगे। 

इस विरोध मार्च को लेकर कालीन उद्योग से जुड़े कालीन निर्यातक एकजुट हो रहे हैं। गौरतलब हो कि अभी तक तमाम मुद्दों का हल बैठकों से ही निकल जाता था लेकिन जीएसटी के कारण ऐसी स्थिति आ गयी है कि निर्यातकों को विरोध में मार्च का सहारा लेना पड़ रहा है। पहली बार युवा कालीन निर्यातक इस मुद्दे को लेकर एकजुट हैं और यह विरोध सोशल मीडिया से लेकर कालीन नगरी के गलियों में देखने को मिल रही है। विरोध में जगह-जगह बैनर पोस्टर भी लगा दिए गए हैं। ऐसे में जानकारों की माने तो इस मुद्दे पर सरकार को कालीन उद्योग के ऐसा कदम उठाया जाना चाहिए जिससे उद्योग को इस भारी-भरकम टैक्स से मुक्ति मिल सके। 



देश से दस हजार करोड़ के कालीनों का विदेशो में निर्यात हो रहा है जिसमे कालीन निर्यातकों का दावा है कि इसमें आधे से अधिक हिस्सा भदोही का होता है। इस उद्योग से बड़ी संख्या में लोगो को रोजगार मिला है और ऐसे में बुनकरों-मजदूरों पर जीएसटी थोपने से उद्योग का बड़ा नुकसान हो सकता है क्योंकि कालीन का कार्य गाँवो में इसे कुटीर उद्योग के रूप में किया जाता है। 
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो