2009 के चुनाव में कांग्रेस ने बसपा के बागी सूर्यमणी तिवारी को अपना प्रत्याशी बनाया था। सूर्यमणी तिवारी को बसपा ने टिकट देने के बाद उनका टिकट काट दिया था जिसके बाद वो कांग्रेस में शामिल हुए और उन्हें टिकट मिला। उस चुनाव में स्थानीय प्रत्याशी होने के नाते उन्होंने चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया। उस चुनाव में कांग्रेस 93351 मत पाकर तीसरे स्थान पर रही जबकि 195808 मत पाकर बसपा के गोरखनाथ पाण्डेय सांसद बने। इस चुनाव में बसपा को 12.89 फीसदी तो कांग्रेस को 6.14 फीसदी वोट मिले। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में जैसे ही कांग्रेस ने बाहरी नेता को यहां से प्रत्याशी बनाया तो उसे बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ। मिर्जापुर से आए कांग्रेस प्रत्याशी सरताज इमाम सिर्फ 22573 वोट पाकर पांचवे स्थान पर चले गए और मतों का प्रतिशत 6.14 से गिरकर 1.23 फीसदी पर पहुंच गया।
ऐसे में माना जा रहा है कि भदोही लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने अगर किसी स्थानीय चेहरे को तरजीह दी तो प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस इस सीट पर भी मजबूती से चुनाव लड़ सकती है। प्रियंका गांधी को नई जिम्मेदारी मिलने के बाद जिले में कई स्थानीय कांग्रेसी टिकट की मांग भी करने लगे हैं।