न्यायपीठ की तरफ से जारी प्रेस नोट के माध्यम से बताया गया कि मामला अप्रैल 2019 जनपद के अंतर्गत थाना कोइरौना की है । जब अनुसूचित जाति के 16 वर्षीय किशोर गंगा घाट पर अपना कपड़ा धोकर स्नान करने के बाद कपड़े को लेकर घाट के ऊपर आ रहा था। उसी में समय किसी के कहने पर एक चार पहिया वाहन ड्राइवर ने उसे अपने गाड़ी से रुपए एवं मोबाइल चुराने के शक में पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया था। जबकि प्राथमिकी में मोबाइल चोरी की बात का उल्लेख नहीं हुआ है।
पुलिस ने नाबालिग को 30 घंटे से अधिक समय तक थाने में बगैर खाना-पानी के रखा और थाने पर आने के बाद उसे उसके अभिभावक से भी नहीं मिलने दिया गया। दूसरे दिन शाम को उसकी तबीयत ज्यादा खराब होने एवं बेहोश होने पर सरकारी चिकित्सक से उसका औपचारिक दवा इलाज कराकर 10:00 बजे रात में नाबालिग एवं उसकी मां से सादे कागजों पर हस्ताक्षर करवाकर उसके घर ले जाकर छोड़ दिया गया। न्याय पीठ के जांच में नाबालिग के पक्ष में गांव के कई सम्भ्रांत एवं अन्य लोगों के साथ चिकित्सक द्वारा न्याय पीठ के समक्ष प्रस्तुत होकर अपना साक्ष्य दर्ज कराया है । जिसके आधार पर उक्त पुलिसकर्मियों को किशोर न्याय कानून के उल्लंघन के कई धाराओं के तहत प्रथम दृष्टया अपराध कारित किया जाना पाया गया। पीड़ित नाबालिग किशोर राज्य मंडल एवं जिला स्तर का प्रतिभावान खिलाड़ी एवं प्रतिष्ठित विद्यालय का छात्र है । न्याय पीठ द्वारा की गई जांच में संकलन के पश्चात न्याय पीठ के अध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार श्रीवास्तव, दीपक कुमार रावत, आनंद कुमार दुबे ,रमाशंकर यादव एवं महिला सदस्य अर्चना सिंह द्वारा उक्त आदेश सर्वसम्मति से पारित किया गया।
BY- MAHESH JAISWAL