प्राइमरी स्कूल में लगाया था अपने पैसे से प्रोजेक्टर और लैपटॉप बच्चो के ज्ञानवर्धन के लिए करते हैं अलग अलग प्रयोग राज्य सरकार भी है इनके प्रयोगों के कायल
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भदोही. अपने अलग तरह के प्रयासों से परिषदीय स्कूल की दिशा बदलने वाले प्राथमिक विद्यालय चितईपुर प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य अरविंद पाल को राज शिक्षक पुरस्कार दिया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार ने प्रदेश के 49 शिक्षकों का चयन किया है। जिन्हें आज लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में पुरस्कृत किया जाएगा। भदोही के शिक्षक अरविंद को यह पुरस्कार मिलने से बेसिक शिक्षा विभाग में हर्ष का माहौल है। राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए चयनित शिक्षक अरविंद पाल का हमेशा से प्रयास रहा है कि बच्चों को बेहतर शिक्षा दिया जाय और इसके लिए उन्होंने चार वर्ष पहले चितईपुर प्राथमिक विद्यालय में अपने खर्च से कम्प्यूटर और प्रोजेक्टर लगवाया।
IMAGE CREDIT: NET जिले में चितईपुर प्राथमिक विद्यालय पहला ऐसा स्कूल है जहां कॉन्वेंट स्कूल की तर्ज पर बच्चे प्रोजेक्टर के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं। प्रोजेक्टर लगाए जाने के बाद चर्चा में आये शिक्षक अरविंद से मिलने और उनके स्कूल को देखने के लिए लोग आकर्षित हुए और इससे अरविंद का हौसला बढ़ा। उत्साहित अरविंद पाल ने पूरे स्कूल की दशा और दिशा बदल दी है। चितईपुर प्राथमिक विद्यालय में कदम रखते ही लगता है कि आप किसी महंगे कान्वेंट स्कूल में खड़े हैं। यहां के बच्चे पूरी तरह अपनी ड्रेस में होते हैं साथ ही बच्चे आपको टाई-बेल्ट के साथ आई कार्ड में दिखेंगे जिसकी व्यवस्था भी खुद अरविंद पाल ने अपने खर्च से शुरू किया था। कभी भी अवकाश न लेने वाले अरविंद पाल पूरे वर्ष विद्यालय में बच्चों के ज्ञानवर्धन के लिए तरह तरह के आयोजन कराते रहते हैं जिससे विद्यालय का माहौल पूरी तरह अच्छी शिक्षा के लिए बदल चुका है। स्कूल के बच्चों को शैक्षणिक भ्रमण भी कराया जाता है जिससे उनके गयं में वृद्धि होती है। इन प्रयासों के लिए शिक्षक अरविंद पाल को पहले भी राज्य सरकार द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। अब राज्य शिक्षक पुरस्कार के चयन के बाद बेशिक शिक्षा विभाग में हर्ष का माहौल है। उन्हें बीएसए अमित कुमार ने भी इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है। शिक्षक अरविंद कहते हैं कि जब सरकारी विद्यालय के बच्चों को शिक्षक अपना बच्चा मानने लगेंगे तो इस तरह की पहल करना कोई बड़ी बात नहीं है। वो चाहते हैं कि देश का हर बच्चा आधुनिक तकनीक के माध्यम से भी शिक्षा प्राप्त करे और यह सपना तभी साकार होगा जब सरकारी स्कूलों के शिक्षक नई पहल की ओर अपना कदम बढ़ायेंगे।