योजना के लॉन्च होने से अब तक यह प्रचार किया गया कि इससे जिलों के लघु, मध्यम एंव परम्परागत उद्योगों का तेजी से विकास होगा और इससे देश की जीडीपी में बढोत्तरी होगी। इस योजना के तहत बड़े पैमाने पर स्वरोजगा स्थापित करने के दावे भी किये गए और सूबे के प्रत्येक जिलों में एक परम्परागत उद्योगों का चयन किया गया। भदोही जिले में इस योजना के तहत कालीन उद्योग को चयनित किया गया है। कालीन उद्योग के चयन के बाद इसके विकास के लिए उद्योग विभाग द्वारा खाका भी तैयार कर लिया गया है लेकिन शासन से बजट के तौर पर अभी तक इस उद्योग को फूटी कौड़ी तक नसीब नही हुई है। जानकारों के मुताबिक यह हाल भदोही ही नहीं बल्कि सूबे के हर जिलों का है जहां बजट नही मिला है।
उद्योग विभाग भी बजट के इंतजार में हाथ पर हाथ रखे बैठा हुआ है। जबकि भदोही के कालीन उद्योग से तमाम ऐसे हस्तशिल्पी और उद्यमी जुड़े हैं जो बेहतर उत्पाद बनाने के बाद भी उसके बिक्री और निर्यात में आगे नही बढ़ पा रहे हैं। ऐसे उद्यमियों को इस योजना से काफी उम्मीदें थी लेकिन छह माह बाद भी कोई बजट जारी न होने से उनके उम्मीदों पर ग्रहण लगता दिखाई पड़ रहा है। इसे लेकर उद्योग विभाग के उपयुक्त हरेंद्र प्रताप ने बताया कि इस योजना के तहत कालीन उत्पाद के लिए रूपरेखा तैयार कर ली गयी है जैसे ही शासन से बजट जारी होगा इस पर कार्य शुरू हो जाएगा।
By- Mahesh Jaiswal