परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया, लेकिन पाक्सो एक्ट की धाराएं नहीं लगाई गईं। लड़की के परिजनों ने पुलिस और सोनभद्र में मेडिकल करने वाले चिकित्सक पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इसके साथ ही कहा कि दोनों की मिलीभगत से उसकी बेटी को बालिग करार किया गया। जबकि आधार कार्ड और विद्यालय के रिकार्ड में उसकी बेटी अभी महज 15 साल की है। पिता की तहरीर पर 12 नवंबर को गोपीगंज के ज्ञानपुर रोड निवासी आरोपी के खिलाफ केस दर्ज किया गया, जो अपने ननिहाल में रहता है, लेकिन अभी तक उक्त मामले में आरोपी की गिरफ्तारी और नाबालिग की बरामदगी नहीं हुई है।
लड़की के पिता ने बताया कि थाने, चौकी का चक्कर लगा रहे हैं, जहां चौकी इंचार्ज के छुट्टी पर जाने और वापस लौटने के बाद कार्रवाई का आश्वासन दिया जा रहा है। इससे पूर्व मार्च में भी इसी लड़की को भगाने के आरोप में युवक को जेल भेजा गया था। तीन महीने बाद किशोरी और युवक मिले थे। उस समय भी पाक्सो एक्ट नहीं लगाया गया था। पिता ने कहा कि बेटी का आधार कार्ड और विद्यालय के हिसाब से जन्मतिथि सात दिसंबर 2005 है, जिसको पुलिस नहीं मान रही। उन्होंने जनपद के आला अधिकारियों से उक्त संवेदनशील मामले में समुचित कार्रवाई की मांग की है।