गौरतलब हो कि इस वर्ष का जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव पिछले चुनावों से बिल्कुल अलग है। पूर्व में हुए अधिकतर चुनावों में ज्ञानपुर के बाहुबली विधायक विजय मिश्रा का सीधे तौर पर दखल रहता था। जिसके कारण उनका जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर निर्विरोध कब्जा जा होता था। विजय मिश्रा पहली बार खुद सपा से जिला पंचायत के अध्यक्ष हुए और उसके बाद जब सपा से विधायक चुन लिए गए तो उन्होंने अपनी पत्नी रामलली मिश्रा को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाया। समाजवादी पार्टी में रहते हुए उन्होंने दोबारा पत्नी रामलली मिश्रा को अध्यक्ष बनाया। सपा के ही प्रत्याशियों को अलग अलग कार्यकाल में एड़ी चोटी का जोर लगाकर उन्होंने अध्यक्ष बनाया लेकिन कुर्सी का कंट्रोल विधायक के हाँथ में ही रहता था।
विधायक विजय मिश्रा सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के खास माने जाते थे इसलिए उनके पीठ पर समाजवादी पार्टी का भी पूरा हाथ रहता था। पंचायत चुनावों में जिले की समाजवादी पार्टी के साथ-साथ विधायक खुद भी काफी मजबूत हुआ करते थे। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में जब मुलायम सिंह यादव की जगह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पार्टी के अध्यक्ष बने तो उन्होंने ज्ञानपुर विधानसभा से विजय मिश्रा का टिकट काट दिया और रामरति बिंद को टिकट दे दिया। जिसके बाद पार्टी से बगावत करते हुए विधायक विजय मिश्रा ने निषाद पार्टी का दामन थाम लिया और चौथी बार विधायक बनने के लिए चुनावी मैदान में कूद पड़े।
भाजपा की लहर में भी उन्होंने भारी अंतर से जीत दर्ज की और चौथी बार विधायक बने, लेकिन जिला पंचायत चुनाव से करीब 10 महीने पहले उनके एक रिश्तेदार ने उनके खिलाफ मकान और अन्य संपत्ति कब्जा करने का एफआईआर दर्ज कराया। इस मामले में विधायक को गिरफ्तार कर आगरा जेल में निरुद्ध किया गया है। इसके साथ ही उनकी पत्नी एमएलसी राम लली मिश्रा और बेटे विष्णु मिश्रा के खिलाफ भी मामले दर्ज हैं। विधायक के जेल में बंद होने के कारण उनके ज्यादातर समर्थक निष्क्रिय हो चुके हैं। जेल जाने से पहले विधायक विजय मिश्रा ने आरोप लगाया था की उनके राजनीतिक विरोधी जिला पंचायत पर कब्जा करने के लिए उन्हें जेल में डलवा सकते हैं।
अब भदोही में जिला पंचायत सदस्यों का चुनाव हो चुका है। जिसमें 26 सीटों में चार जिला पंचायत सदस्य भारतीय जनता पार्टी के जीत कर आए हैं। जबकि जीते हुए 10 जिला पंचायत सदस्यों पर समाजवादी पार्टी ने अपना दावा करते हुए उन्हें पार्टी का सदस्य बताया है। भदोही से भाजपा विधायक रविन्द्र नाथ त्रिपाठी के भाई और भतीजे भी भाजपा प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़कर जिला पंचायत सदस्य हुए हैं। भाई-भतीजे में एक जिला पंचायत अध्यक्ष के प्रत्याशी होंगे और इसके लिए विधायक के कुनबे ने पूरा जोर लगा दिया है।
सपा ने श्याम कुमारी मौर्या को प्रत्याशी घोषित किया है। वहीं भाजपा ने अभी अपने पत्ते नही खोले हैं। माना जा रहा है भाजपा जैसे ही प्रत्याशी घोषित करती है वैसे ही चुनावी तस्वीर साफ होने लगेगी। माना जा रहा है कि पूरी लड़ाई तीन प्रत्याशियों के बीच देखने को मिलेगा। ऐसे में जिस दल का प्रत्याशी जिला पंचायत अध्यक्ष बनेगा उसके लिए यह बहुत महत्तवपूर्ण है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में उसके दल की सरकार बने। अगर ऐसा नही होता है तो उसके कुर्सी पर अविश्वास प्रस्ताव का साया मंडराने लगेगा। ऐसा पूर्व में भी देखने को मिला है।
By Mahesh Jaiswal