केतु का जिस ग्रह को साथ उसका बढता है बल केतु ग्रह की यह सबसे बड़ी विशेषता है कि केतु जिस ग्रह के साथ बैठते हैं उसके बल को बढ़ा देते हैं, यानी शुभ ग्रह के साथ बैठते हैं तो शुभ फल को बढ़ाते हैं और अशुभ ग्रह के साथ बैठते हैं तो अशुभ फल को बढ़ाते हैं। कुंडली में राहु और केतु के कारण पितृदोष का निर्माण होता है। शास्त्रों के अनुसार कुजवत केतु अर्थात नैसर्गिक रूप से केतु मंगल के समान फल देता है। ज्योतिष में राहु-केतु को किसी भी राशि का स्वामित्व नहीं है, लेकिन केतु धनु राशि में उच्च के और मिथुन राशि में नीच के माने जाते हैं। पं. माधवेंद्र शर्मा ने बताया कि केतु के अशुभ असर से बचने के लिए भैरव और हनुमान की पूजा करनी चाहिए। इसके लिए हनुमान और भैरव चालीसा का पाठ करें। केले के पत्ते पर चावल का भोग लगाएं। हरा रुमाल सदैव अपने साथ रखें। तिल के लड्डू सुहागिनों को खिलाएं। कन्याओं को रविवार के दिन मीठा दही और हलवा खिलाएं।