scriptप्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों में 64% सीट रिक्त | 64 percent of seats in engineering colleges in the state are vacant | Patrika News
भरतपुर

प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों में 64% सीट रिक्त

भरतपुर. सरकार भले ही रोजगार परक व तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने का ढोल पीट रही लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि युवाओं का तकनीकी शिक्षा से मोहभंग हो रहा है। बीते चार साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो सरकारी व निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में छात्र संख्या (प्रवेश) में 46.07 प्रतिशत की कमी आई है। युवाओं के घटते रुझान को देखते हुए निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में सीटों की संख्या में कमी आ रही है लेकिन सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में सीट लगातार बढ़ा रहे हैं।

भरतपुरFeb 01, 2019 / 09:41 pm

shyamveer Singh

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भरतपुर. सरकार भले ही रोजगार परक व तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने का ढोल पीट रही लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि युवाओं का तकनीकी शिक्षा से मोहभंग हो रहा है। बीते चार साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो सरकारी व निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में छात्र संख्या (प्रवेश) में 46.07 प्रतिशत की कमी आई है। युवाओं के घटते रुझान को देखते हुए निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में सीटों की संख्या में कमी आ रही है लेकिन सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में सीट लगातार बढ़ा रहे हैं। ताज्जुब की बात तो यह है कि बीते चार साल में प्रदेश में इंजीनियरिंग की कुल सीटों में भी 32 प्रतिशत की कमी कर दी गई है। यही वजह है कि वर्ष 2018-19 में प्रदेश के 18 सरकारी (सोसायटी समेत) व सौ से अधिक निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में 39,127 सीटों पर सिर्फ 13,915 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है यानी पूरे प्रदेश में 64.43 प्रतिशत सीट रिक्त हैं।

यहां के हालात दयनीय
राजकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय भरतपुर में पांच ब्रांचों में चारों वर्ष में कुल 1200 सीट हैं। लेकिन वर्ष 2018-19 में 300 सीटों पर सिर्फ 82 (27.33 प्रतिशत) विद्यार्थियों ने ही प्रवेश लिया है। जबकि चारों वर्षों में कुल 1200 सीटों पर 614 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। यानी 48.83 प्रतिशत सीट रिक्त हैं। वहीं राजकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय धौलपुर में 600 सीटों पर 05 विद्यार्थी और राजकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय करौली में 600 सीटों पर 08 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। धौलपुर महाविद्यालय के माइनिंग इंजीनियरिंग ब्रांच के पांच विद्यार्थियों का फैकल्टी व लैब के अभाव में उदयपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में ट्रांसफर कर दिया गया।
ये हैं मुख्य कारण
– प्रदेश में इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स की संख्या को देखते हुए रोजगार कम उपलब्ध हो पा रहा है।
– प्रदेश के कई सरकारी कॉलेज सोसायटी के अधीन संचालित हैं जिनमें निजी कॉलेजों के समान फीस चुकानी पड़ रही है।
– कई सरकारी कॉलेजों में अध्ययन व प्रायोगिक पढ़ाई की सुविधाओं का उचित विस्तार नहीं हो पाया है।
वर्ष सरकारी कॉलेज प्रवेश निजी कॉलेज प्रवेश कुल
2015-16 3,618 22,186 25,804
2016-17 3,123 17,297 20,420
2017-18 2,758 14,636 17,394
2018-19 3,273 10,642 13,915

वर्ष सरकारी कॉलेज सीट निजी कॉलेज सीट कुल
2015-16 4,860 52,826 57,686
2016-17 4,820 47,948 52,768
2017-18 5,660 41,246 46,906
2018-19 5,996 33,131 39,127

वर्जन-
पूरे देश में सिर्फ 48 प्रतिशत ही इंजीनियरिंग स्टूडेंट हैं। इंजीनियरिंग में स्टूडेंट कम आ रहे हैं। कॉलेजों की फिजीकल विजिबलिटी कम होने की वजह से भी छात्रों का रुझान कम है।
-डॉ. रणजीत सिंह, प्राचार्य, राजकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय, भरतपुर
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