क्या है आइवीआर सिस्टम
आइवीआर यानी इंटरेक्टिव वॉयस रिस्पॉस एक ऐसी स्वचालित टेलीफोन प्रणाली है, इसमें यूजर के की-पेड से नंबर एंटर करवाकर उसको प्रोसेस किया जाता है। जब भी हम किसी भी टेलीकॉम ऑपरेटर के कॉलसेंटर पर कॉल करते हैं वो हमारी च्वाइस आइवीआर सिस्टम में लेकर उसको प्रोसेस करते हैं।
आइवीआर यानी इंटरेक्टिव वॉयस रिस्पॉस एक ऐसी स्वचालित टेलीफोन प्रणाली है, इसमें यूजर के की-पेड से नंबर एंटर करवाकर उसको प्रोसेस किया जाता है। जब भी हम किसी भी टेलीकॉम ऑपरेटर के कॉलसेंटर पर कॉल करते हैं वो हमारी च्वाइस आइवीआर सिस्टम में लेकर उसको प्रोसेस करते हैं।
कैसे लेता है नंबर
फोन के की-पेड पर मौजूद हर नंबर की एक विशेष टोन होती है, जिसे ड्यूल टोल मल्टी फ्रिक्वेंसी अर्थात डीटीएमएफ सिग्नल कहते हैं। आइवीआर सिस्टम इन्हीं सिग्नलस को डिकोड कर नंबर का पता लगाता है।
फोन के की-पेड पर मौजूद हर नंबर की एक विशेष टोन होती है, जिसे ड्यूल टोल मल्टी फ्रिक्वेंसी अर्थात डीटीएमएफ सिग्नल कहते हैं। आइवीआर सिस्टम इन्हीं सिग्नलस को डिकोड कर नंबर का पता लगाता है।
तुरंत यह तीन कदम उठाएं
-साइबर क्राइम का पता चलने पर तुरंत कार्ड या अकाउंट ब्लॉक कराएं। ई-मेल या सोशल नेटवर्किंग अकाउंट हैक होने पर उसकी रिकवरी शुरू कराएं।
-क्रेडिट कार्ड या नेटबैंकिंग अकाउंट के दुरुपयोग होने पर किए गए खर्च के बारे में कोई एसएमएस या ई-मेल आया हो तो उसे संभालकर रखें।
-सबूत लेकर सायबर थाना पुलिस से संपर्क करें।
-साइबर क्राइम का पता चलने पर तुरंत कार्ड या अकाउंट ब्लॉक कराएं। ई-मेल या सोशल नेटवर्किंग अकाउंट हैक होने पर उसकी रिकवरी शुरू कराएं।
-क्रेडिट कार्ड या नेटबैंकिंग अकाउंट के दुरुपयोग होने पर किए गए खर्च के बारे में कोई एसएमएस या ई-मेल आया हो तो उसे संभालकर रखें।
-सबूत लेकर सायबर थाना पुलिस से संपर्क करें।
समय पर चेत जाएं, इस तरह कर सकते हैं अपने खाते का बचाव
-दो सिम रखें। एक से इंटरनेट का इस्तेमाल करें और दूसरी सिम में सामान्य मोबाइल में डालकर उससे फाइनेंशियल काम में लें। यह नंबर किसी को नहीं बताएं।
-नेट बैंकिंग, सोशल मीडिया अकाउंट के पासवर्ड अलग-अलग रखें, ताकि हैकर अकाउंट को हैक नहीं कर सकें।
-यदि नेटबैंकिंग का इस्तेमाल नहीं करते हो तो तुरंत बंद करा दें।
-ट्रांजेक्शन की लिमिट सेट करा दें।
-इंटरनेशनल ट्रांजेक्शन की जरुरत नहीं हो तो इसे भी बंद करा दें।
-एटीएम के पीछे ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए कार्ड वेरिफिकेशन वैल्यू (सीवीवी) नंबर को याद करके कार्ड से मिटा दें। यह आपके किसी काम नहीं आता, लेकिन सायबर ठग इससे ऑनलाइन शॉपिंग कर सकते हैं।
-ओटीपी सिर्फ भारत में वैलिड है। विदेशी वेबसाइट ओटीपी नहीं मांगती। सिर्फ सीवीवी के जरिए ट्रांजेक्शन करती है।
-ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि आधार और बैंक अकाउंट से लिंक मोबाइल नंबर को किसी से साझा नहीं करें और न ही इससे किसी को कॉल करें।
-दो सिम रखें। एक से इंटरनेट का इस्तेमाल करें और दूसरी सिम में सामान्य मोबाइल में डालकर उससे फाइनेंशियल काम में लें। यह नंबर किसी को नहीं बताएं।
-नेट बैंकिंग, सोशल मीडिया अकाउंट के पासवर्ड अलग-अलग रखें, ताकि हैकर अकाउंट को हैक नहीं कर सकें।
-यदि नेटबैंकिंग का इस्तेमाल नहीं करते हो तो तुरंत बंद करा दें।
-ट्रांजेक्शन की लिमिट सेट करा दें।
-इंटरनेशनल ट्रांजेक्शन की जरुरत नहीं हो तो इसे भी बंद करा दें।
-एटीएम के पीछे ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए कार्ड वेरिफिकेशन वैल्यू (सीवीवी) नंबर को याद करके कार्ड से मिटा दें। यह आपके किसी काम नहीं आता, लेकिन सायबर ठग इससे ऑनलाइन शॉपिंग कर सकते हैं।
-ओटीपी सिर्फ भारत में वैलिड है। विदेशी वेबसाइट ओटीपी नहीं मांगती। सिर्फ सीवीवी के जरिए ट्रांजेक्शन करती है।
-ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि आधार और बैंक अकाउंट से लिंक मोबाइल नंबर को किसी से साझा नहीं करें और न ही इससे किसी को कॉल करें।
केस नंबर 1
-सुभाष नगर निवासी मयंक के पास ठग ने फोन कर केवाईसी के बारे में कहा। उसने ऐप इंस्टॉल कराया। उसके बाद मोबाइल हैक कर पेटीएम से पांच हजार रुपए का ट्रांजेक्शन कर लिया।
-सुभाष नगर निवासी मयंक के पास ठग ने फोन कर केवाईसी के बारे में कहा। उसने ऐप इंस्टॉल कराया। उसके बाद मोबाइल हैक कर पेटीएम से पांच हजार रुपए का ट्रांजेक्शन कर लिया।
केस नंबर 2
-रंजीतनगर निवासी सौरभ गुप्ता के पास ठग ने फोन कर कहा कि उनका पेटीएम बंद हो चुका है। चालू करने के लिए केवाईसी करना आवश्यक है। झांसा देकर 1500 रुपए निकाल लिए।
-रंजीतनगर निवासी सौरभ गुप्ता के पास ठग ने फोन कर कहा कि उनका पेटीएम बंद हो चुका है। चालू करने के लिए केवाईसी करना आवश्यक है। झांसा देकर 1500 रुपए निकाल लिए।
केस नंबर 3
-मुखर्जी नगर निवासी दीपक के पास ठग ने फोन कर अन्य तरह ही झांस दिया, लेकिन वह समझ गया और कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। ठग ने फोन ही काट दिया। इसके बाद उसने काफी कोशिश की, लेकिन ठग ने फोन ही बंद कर लिया।
-मुखर्जी नगर निवासी दीपक के पास ठग ने फोन कर अन्य तरह ही झांस दिया, लेकिन वह समझ गया और कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। ठग ने फोन ही काट दिया। इसके बाद उसने काफी कोशिश की, लेकिन ठग ने फोन ही बंद कर लिया।
-ऐसे प्रकरणों में खुद आमजन को भी समझना चाहिए यह ठग ही है। थोड़ी से सजगता बरती जाए तो ऐसे ठगों को भी पकड़ा जा सकता है। फोन आने पर तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दें।
हैदर अली जैदी
एसपी
हैदर अली जैदी
एसपी