scriptकिसी भी दल को मेयर बनाने के लिए चाहिए होंगे 33 ‘पार्षदÓ | Any party will need 33 'councilors' to make it Mayor | Patrika News

किसी भी दल को मेयर बनाने के लिए चाहिए होंगे 33 ‘पार्षदÓ

locationभरतपुरPublished: Oct 14, 2019 11:15:35 pm

Submitted by:

rohit sharma

नगर निगम में मेयर पद पर अप्रत्यक्ष चुनाव कराने की घोषणा होते ही शहर के हर वार्ड में दावेदार सक्रिय हो गए। हालांकि पार्षदी के दावेदार सोमवार को घोषणा के बाद और अधिक सक्रिय नजर आए। क्योंकि अब उनकी पूछ जो बढ़ गई है।

किसी भी दल को मेयर बनाने के लिए चाहिए होंगे 33 'पार्षदÓ

किसी भी दल को मेयर बनाने के लिए चाहिए होंगे 33 ‘पार्षदÓ

भरतपुर. नगर निगम में मेयर पद पर अप्रत्यक्ष चुनाव कराने की घोषणा होते ही शहर के हर वार्ड में दावेदार सक्रिय हो गए। हालांकि पार्षदी के दावेदार सोमवार को घोषणा के बाद और अधिक सक्रिय नजर आए। क्योंकि अब उनकी पूछ जो बढ़ गई है। नगर निगम में मेयर पद के दावेदार को चुनाव जीतने के लिए 65 में से 33, रूपवास नगरपालिका में चेयरमैन के दावेदार को जीत के लिए 25 में से 13 पार्षदों के मत चाहिए होंगे। अब स्थानीय निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है। कांग्रेस और भाजपा अपनी-अपनी तैयारियों में जुटी है। कांग्रेस ने पार्टी की सरकार आते ही महापौर का चुनाव सीधे कराने का निर्णय किया था, अब राज्य सरकार ने दोबारा इस निर्णय की समीक्षा कर अप्रत्यक्ष चुनाव कराने का निर्णय लिया है। इस सियासी हलचल के बाद दोनों दलों से महापौर और नगरपालिकाध्यक्ष का ख्वाब देखने वालों के सामने यह स्थिति स्पष्ट है कि उन्हें निकाय प्रमुख के पद के लिए पहले पार्षद चुने जाने के लिए समर में उतरना होगा। स्थिति स्पष्ट होने के बाद दावेदारों के साथ चुनाव की रणनीति बनाने वाले नेता भी तैयारी की स्थिति में आ चुके हैं। हालांकि अभी मेयर पद की लॉटरी को लेकर भी ऊंहापोह की स्थिति बनी हुई है। उधर, कई नेता अब अपने लिए सुरक्षित वार्ड की तलाश में भी जुट गए हैं। उन्हें लग रहा है कि सरकार का निर्णय लॉटरी का परिणाम भले ही कुछ भी रहे, वे अपनी व्यवस्था बनाकर रखें। दूसरी समस्या यह भी है कि लॉटरी नहीं निकाले जाने से अभी तक मेयर पद के दावेदारों के सामने भी संकट है कि जितनी देरी निर्णय में हो रही है वह उनके चुनाव प्रचार में बाधा उत्पन्न करेगी। इसलिए वह सुरक्षित वार्ड की तलाश करने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
मतलब अब बढ़ जाएंगे हर वार्ड में पार्षदी के दावेदार

अब मेयर पद की लॉटरी को लेकर संशय बना हुआ हैं। बताते हैं कि मेयर व चेयरमैन पद की लॉटरी प्रदेश के सभी निकायों की राज्यस्तर पर एक साथ निकाली जाएगी। भले ही किसी निकाय में चुनाव अब हैं या बाद में। सबसे रोचक मुकाबला भी मेयर व चेयरमैन के चुनाव को लेकर है। क्योंकि अप्रत्यक्ष चुनाव होने के कारण एक बार फिर पार्षदों की पूछ बढ़ जाएगी और हर वार्ड में पार्षदी के दावेदार भी।

सुमन कोली बनी थी प्रत्यक्ष चुनाव से पहली सभापति और मेयर

भरतपुर नगर निगम में वर्ष 1994 तक सामान्य सीट से विजय बंसल, 1999 में एससी से शकुंतला कोली, 2004 में सामान्य से शिवसिंह भोंट, 2009 में एससी से सुमन कोली तथा 2014 में सामान्य सीट से शिवसिंह भोंट मेयर चुने गए। 2009 में सुमन कोली को प्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम से सभापति चुना गया था। 2013 में नगर परिषद् के नगर निगम में क्रमोन्नत होने पर उनका पदनाम मेयर हो गया। इस बार पार्षदों के माध्यम से मेयर चुने जाने के कारण भले ही किसी भी वर्ग की मेयर की सीट आए, दिग्गज भी मैदान में उतर सकते हैं।

भाजपा: खुद कांग्रेस सरकार के ही समझ में नहीं आ रहा

स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर भाजपा के जिलाध्यक्ष डॉ. जितेंद्र सिंह फौजदार ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि पहले कांग्रेस ने सरकार आते ही महापौर जैसे पद का चुनाव सीधे कराने का निर्णय लिया। उस समय कांग्रेस को लगा कि सत्ता का फायदा उठाकर कैसे भी सफल हो जाएंगे, क्योंकि पिछली बार जब सीधा चुनाव हुआ था, तब भी कांग्रेस को कुछ फायदा नहीं हुआ था। अब जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद देश के साथ राजस्थान में माहौल भाजपा के पक्ष में है। शहरी मतदाता वैचारिक और मुद्दों के आधार पर वोट करता है। ऐसे में कांग्रेस को लग रहा है कि सीधे चुनाव में उन्हें सफलता नहीं मिलेगी। इसलिए राज्य सरकार और कांग्रेस भ्रमित है। सरकार किसी भी प्रक्रिया से चुनाव करा ले, भाजपा को इसकी चिंता नहीं है। राज्य सरकार ने वार्डों के पुनर्गठन का डिजाइन कांग्रेस के वोटों का संतुलन देखते हुए किया है। इसके बाद भी कांग्रेस कमजोर है।

कांग्रेस: जनता व कार्यकर्ताओं की राय पर लिया निर्णय

नगर निकाय चुनाव प्रक्रिया को लेकर कांग्रेस जिलाध्यक्ष शेरसिंह सूपा ने पत्रिका को बताया कि महापौर का चुनाव पार्षदों के माध्यम से होगा, इसका निर्णय कैबीनेट की बैठक में हुआ है। राज्यभर के लोगों से इसका फीडबैक लिया गया है। सबकी राय जैसी होगी, वैसा ही निर्णय लिया गया है। जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने का किसी तरह का असर स्थानीय निकाय चुनाव पर नहीं पड़ेगा। कांग्रेस एकजुट है और पूरी ताकत से चुनाव लड़ेगी। राज्य में कांग्रेस की सरकार आने के बाद महापौर और नगर निकायों के अध्यक्षों के चुनाव जनता के माध्यम से सीधे मतदान से कराने का निर्णय मंत्रीमंडल ने लिया था। अब जगह-जगह से सरकार के पास महापौर और निकाय अध्यक्षों का चुनाव पार्षदों के माध्यम से कराए जाने की मांग उठ रही थी। ऐसे में सरकार इस निर्णय की दोबारा समीक्षा कर रही थी। राज्य के सभी वर्गों, सभी दलों, आमजन और जनप्रतिनिधियों से राय ली गई है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो