scriptएक ट्रॉली पुलर के भरोसे व्यवस्थाएं | Arrangements by relying on a trolley puller | Patrika News

एक ट्रॉली पुलर के भरोसे व्यवस्थाएं

locationभरतपुरPublished: Jun 19, 2021 02:01:01 pm

Submitted by:

Meghshyam Parashar

– मरीज परेशान, तीमारदार भी नाराज

एक ट्रॉली पुलर के भरोसे व्यवस्थाएं

एक ट्रॉली पुलर के भरोसे व्यवस्थाएं

भरतपुर. आरबीएम अस्पताल से हटाए गए ट्रॉली पुलरों के कारण यहां व्यवस्थाएं अब बेपटरी होने लगी हैं। महज एक ट्रॉली पुलर को अस्पताल के गेट पर खड़ा किया है। यदि यह ट्रॉली पुलर किसी मरीज को अंदर छोडऩे चला जाए तो दूसरा मरीज तीमारदारों के कंधों पर ही नजर आता है। शुक्रवार को भी मरीज एवं उनके परिजनों को ऐसी ही परेशानियों से दो-चार होना पड़ा।
सरकारी दावों में हर बार कहा जा रहा है कि मरीजों की चिकित्सा व्यवस्था में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जाएगी। साथ ही इसमें धन की भी कमी आड़े नहीं आने दी जाएगी, लेकिन आरबीएम में अस्थाई तौर पर लगे ट्रॉली पुलरों तक को देने के लिए पैसे नहीं हैं। ऐसे में मरीज एवं उनके परिजनों को यहां खुद धक्का खाने के साथ स्ट्रेचर एवं व्हील चेयर को धक्का लगाना पड़ रहा है। कोरोना महामारी के बीच मरीजों की सहूलियत के लिए आरबीएम में अस्थाई तौर पर ट्रॉली पुलर सहित अन्य कार्मिक लगाए थे, लेकिन काफी दिनों तक इन्हें मानदेय नहीं मिला। इसके बाद जिला प्रशासन ने आरबीएम को उधार राशि देकर इन्हें भुगतान देने की बात कही है, लेकिन अब जून माह के बाद न तो अस्पताल प्रशासन के पास पैसा है और न ही सरकार इन्हें मदद कर रही है। ऐसे में अस्पताल में लगे 46 ट्रॉली पुलरों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इसके चलते यहां व्यवस्थाएं बेपटरी हो गई हैं। पुराने कार्मिकों को यथावत रखने की बात तो दूर अब अस्पताल प्रशासन को उधार ली गई राशि को चुकाने के लिए भी चिंता करनी पड़ रही है। वजह, अस्पताल के पास इसके लिए कोई ठोस आमदनी नहीं है।
परिजनों के भरोसे ही मरीज

आरबीएम के गेट पर लगे महज एक ट्रॉली पुलर से व्यवस्थाएं सहज नहीं हो पा रही हैं। ऐसे में मरीज अब परिजनों के कांधों के भरोसे ही नजर आ रहे हैं। शुक्रवार को भी कई मरीजों को उनके परिजन हाथों पर उठाकर लाए तो कई कंधों का सहारा देकर अंदर तक ले गए। ट्रॉली पुलरों के अभाव में हर रोज अव्यस्थाएं हो रही हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन की ओर से अभी राहत देने के कोई इंतजाम नहीं हो पा रहे हैं। खास बात यह है कि यह सब चिकित्सा राज्यमंत्री के क्षेत्र में हो रहा है। इसके बाद भी उनका मौन टूटने का नाम नहीं ले रहा है।
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