दीपेश कुमार ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, भाई बहन, परिजन और पढ़ाई में मदद करने वाले शिक्षकों को दिया। दीपेश ने बताया कि उसके माता-पिता हमेशा कहते हैं के जीवन में परेशानियां तो बहुत आती है। लेकिन जो व्यक्ति परेशानियों को हटाकर भी ऊंचा सोच सके वही लीडर है।
पिता ठेल पर बेचते हैं सांक, बिटिया ने अफसर बन सपने किए साकार
जरूरतमंद की करेंगी मदददीपेश ने बताया कि भविष्य में कोई भी जरूरतमंद जिसे कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है और वो मेरी क्षमता में है तो उसकी मदद करने की कोशिश करूंगी। सर्विस में मुझे जो भी जिम्मेदारी मिलेंगी मैं उन्हें पूरी इमानदारी से निभाऊंगी।
दीपेश कुमार ने बताया कि आर्थिक तंगी की वजह से परेशानियां आ सकती हैं लेकिन वो रुकावट नहीं बन सकती। बल्कि आर्थिक परेशानियां आपको मोटिवेशन देती हैं कि आप ज्यादा पढ़े ज्यादा मेहनत करें।
दीपेश कुमार ने बताया कि यूपीएससी इंटरव्यू में उनसे भरतपुर के इतिहास, लोहागढ़, महाराजा सूरजमल और यहां के एग्रीकल्चर बैकग्राउंड से संबंधित सवाल किए। गौरतलब है कि दीपेश के पिता गोविंद बीते 25 साल से ठेला पर सांक बेचकर परिवार पाल रहे हैं। परिवार में दीपेश की एक और बहन व तीन भाई हैं।