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Bharatpur Keoladeo National Park: शिकारियों के लिए छोटी पड़ रही 6 फीट की चारदीवारी

locationभरतपुरPublished: Jun 28, 2019 11:24:44 am

Submitted by:

rohit sharma

Bharatpur Keoladeo National Park के वन्यजीव और यहां पानी की डिग्गियों में मछलियों पर शुरू से शिकारियों की नजर बनी हुई है। पहले उद्यान की चारीदीवारी कम ऊंची होने और कुछ स्थानों से क्षतिग्रस्त होने से शिकारी के साथ आवारा जानवर आसानी से अंदर घुस आते थे।

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Keoladeo National Park

भरतपुर. (Keoladeo National Park) के वन्यजीव और यहां पानी की डिग्गियों में मछलियों पर शुरू से शिकारियों की नजर बनी हुई है। पहले उद्यान की चारीदीवारी कम ऊंची होने और कुछ स्थानों से क्षतिग्रस्त होने से शिकारी के साथ आवारा जानवर आसानी से अंदर घुस आते थे। लेकिन बाद में चारदीवारी को छह फीट करने के बाद आवारा जानवरों का घुसना तो रुक गया लेकिन शिकारियों की आवाजाही बंद नहीं हुई है। ये शिकारी बीच-बीच में घना की दीवार फांद कर अंदर घुस आते हैं और डिग्गियां में से मछली निकाल कर ले जाते हैं। पिछले सप्ताह घना में पानी की डिग्गी के पास घूमते कुछ शिकारी दिखाई दिए लेकिन टीम को देख यह लोग भाग निकले। चारीदीवारी के पीछे शिकारियों की पांच बाइक खड़ी मिली, जिन्हें जब्त किया है। जबकि अंदर डिग्गी में मछली पकडऩे के लिए लगा जाल और दो जाल बाहर पड़े थे, उन्हें जब्त किया है। मामले में अभी तक केवल एक ही आरोपी हाथ लगा है। उधर, घना निदेशक डॉ.अजीत उचोई ने बताया कि घना में शिकारी डिग्गियां में मछलियों को पकडऩे आते हैं। इनकी घुसपैठ देखते हुए डिग्गियों पर चौबीस घंटे निगरानी बढ़ा दी है। ये लोग दीवार फांद कर अंदर आते हैं। इन्हें रोकने के लिए दीवार की ऊंचाई दस फीट करने का एक प्रोपोजल मुख्यालय भिजवाया है।
14 चौकियां की निगरानी भी पड़ रही कमजोर

घना में अंदर की निगरानी रखने के लिए अगल-अलग स्थानों पर करीब चौदह चौकियां है। ये पूरे इलाके पर नजर रखती है लेकिन इन निगरानी को भी धता बताते हुए बीच-बीच में शिकारी घुसने में सफल रहते हैं। हालांकि, चौकियों की निगरानी के अलावा पेट्रोलिंग पार्टी भी गश्त करती है। वहीं, शिकारियों की घुसपैठ को देखते हुए पानी वाले स्थानों पर चौबीस घंटे निगरानी बढ़ा दी है। शिकारी आगरा रोड, जाटौली, घसौला व मलाह की तरफ से झांडिय़ों में बाइक खड़ी कर दीवार फांद अंदर घुस आते हैं।

छह फीट दीवार शिकारियों को रोकने में नाकाम

विश्वविख्यात और पक्षियों के लिए स्वर्ग कह जाने वाला (Keoladeo National Parkh) 29 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। इसके चारों तरफ पत्थर से बनी करीब छह फीट की चारदीवारी है, लेकिन यह चारदीवारी शिकारियों की घुसपैठ रोकने में नाकाम साबित हो रही है। घना में शिकारियों की घुसने की यह पहली घटना नहीं है, इससे पहले भी शिकारी सुरक्षा में सेंध लगा अंदर घुस चुके हैं। उधर, विभागीय अधिकारी भी मानते हैं कि घना की चारदीवार छोटी पड़ रही है, शिकारी व बाहरी व्यक्तियों की घुसपैठ रोकने के लिए दीवार को 10 फीट को ऊंचा करने का एक प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय भेजा है।

घना पूर्व में रह चुका शिकारगाह

घना भले ही आज पक्षियों के लिए सुरक्षित सैरगाह मानी जाती हो लेकिन पुराने समय में यह शिकारगाह के रूप में था। यहां पर पहली बार वाइस राय लॉर्ड कर्जन के साथ 1 दिसम्बर 1902 को शिकार हुआ। इसके बाद भारत के वाइस राय एवं गर्वनर जनरल लॉर्ड लिनलिथगो की मौजूदगी में 12 नवम्बर 1938 में पहली बार सर्वाधिक 4 हजार 237 पक्षियों का शिकार हुआ। इस स्थल को वर्ड सेंचुरी बना दिया। इसके बाद 1981 में राष्ट्रीय उद्यान बनाया और नवम्बर 1982 में इसका नोटिफिकेशन जारी हुआ।
(UNESCO) ने घना को वर्ष 1985 में विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया।
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