मौसम की तरह सियासत भी गर्म है तो इस गर्मी का हाल जानने शहर के बिजलीघर चौराहे के पास निकले तो चाय विक्रेता रामचरण से मुलाकात हुई। चुनाव की बात छेड़ी तो निराश होकर ब्रजभाषा में ही बोला, ‘डार दिंगे वोट भी…नेता कौन सो निहाल कर जाएगो… बालकन कू कोटा में पढाएवो मुश्किल है रहयो है पर नेता नगरी कू तो वोटन की पड़ रही है, भइया रे कितनी महंगाई है गई काय को भी ध्यान नांय। पास में ही बैठे डीग के बेढ़म निवासी सुरेश सिंह भी बोल उठे, ‘हर बार नयो मॉडल लांच है जावै भइया, अब कै भी आ गए नये-नये सफेद कुर्तावारे…। अजी लंबी-लंबी फेंकते रहवैं सब के सब कि नौकरी मिलंगी, हमारे तो छोरा ही कुंवारे बैठे हैं नौकरीन की खातिर। बारिश ते पतोऊ भी है कितनो नुकसान है गयो है अबकै पर इनकू काहे की फिकर है साहब।Ó
बिजलीघर से कुम्हेर गेट के लिए निकले तो रास्ते में जाम में फंसे प्रदीप शर्मा से शहर का बड़ा मुद्दा पूछा तो बोले, आपको दिखता नहीं है या आप मजाक कर रहे हैं? जब उनसे कहा कि जाम कोई बड़ी समस्या थोड़ी है, ये तो आम बात है तो वो भी नाराज होकर बोला कि एक बार बिजलीघर से कुम्हेर गेट का साढ़े तीन किमी का सफर तय करो तो पता चलेगा कि जब 10 जगह जाम में फंसकर आधा घंटे में कुम्हेर गेट तक पहुंचेंगे तो बड़ा मुद्दा क्या है? यहां से होकर बी-नारायण गेट पहुंचे तो मनोज गुप्ता से सवाल किया तो बोले कि सीवरेज ने सारे शहर को जकड़ लिया है, आधे से ज्यादा सड़कें तो खत्म कर दी हैं और कुछ साल में आधा शहर और खत्म कर देंगे ये सीवरेज वाले। नेताओं को तो सिर्फ बजट खर्च होना ही विकास है, जनता को धरातल पर दिखे तो पता चले कि विकास कौनसी चिडिय़ा का नाम है।
डीग-कुम्हेर विधानसभा के डीग कस्बे में बस स्टैंड के पास कॉलोनी में टैंकर से पानी लेने भीड़ लगी है। एक महिला रेखा कुमारी से पूछा तो बोली, बाल सफेद हो गए पानी भरते-भरते। अब तुम आए हो कि मुद्दा क्या है। वो गुस्सा करते हुए बोली कि बच्चों की शादियां तक नहीं हो रही हैं, क्योंकि सालों से चम्बल के पानी का इंतजार है। कामां विधानसभा क्षेत्र के लिए जा रहे डीग-कामां रोड पर चले तो गांव सेऊ में परशुराम गुर्जर से इतना ही पूछा था कि क्षेत्र का बड़ा मुद्दा क्या है तो बोले, ‘भइया जरा रोड को देखो तो तीन साल हो गए पता ही नहीं गड्डों में सड़क समा गई। रही बात चुनाव की तो एससी की सीट। कोई आएगा उसे ही दे देंगे। नगर विधानसभा क्षेत्र में कस्बे में स्थित बस स्टैंड के पास मिठाई विक्रेता रौनक शर्मा बोले कि यहां बेरोजगारी और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की बात पुरानी है।
कठूमर विधानसभा में साइकिल से जा रहे ठाकुर भजनलाल से बात करना चाहा तो बोले कि सोते इस घर में है और पांव पसारे दूसरे घर में। कठूमर आता तो अलवर जिले में है और परिसीमन में कर दिया भरतपुर लोकसभा सीट में। हमने तो कभी सांसद को कठूमर में आते ही नहीं देखा, फिर वोट किसे दें।
नदबई विधानसभा क्षेत्र में रेलवे फाटक के पास दयाराम सैनी बोले कि चम्बल परियाजना में अब तक क्षेत्र को जोड़ दिया जाना चाहिए था। अब तक किसी भी नेता ने कोई प्रयास नहीं किया। बयाना विधानसभा क्षेत्र में व्यापारी दीपक शर्मा बताते हैं, हमारे यहां के स्टोन से देश-विदेश में मंदिर बन रहे हैं, लेकिन सरकार और नेताओं को क्या फिक्र की कोई बड़ी इकाई ही यहां स्थापित कर दी जाएं।
वैर विधानसभा क्षेत्र के भुसावर में राहुल सिंह ने कहा, यह जिले में सबसे ज्यादा पिछड़ा क्षेत्र है, यहां के नेता मुख्यमंत्री तक बन गए, लेकिन क्षेत्र की हालत देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि पूरे विधानसभा क्षेत्र में विकास का सपना ही सबसे बड़ा मुद्दा है।
इसलिए इस सीट पर नजर भरतपुर लोकसभा सीट की आठ विधानसभाओं में से पांच पर कांग्रेस व एक पर कांग्रेस गठबंधित आरएलडी का कब्जा है, जबकि दो सीटों पर बसपा ने जीत दर्ज की थी। इससे पहले सिर्फ दो सीटों पर कांग्रेस और छह सीटों पर भाजपा का कब्जा था। अब तक हुए 16 लोकसभा चुनाव में पांच बार भाजपा व सात बार कांग्रेस का कब्जा रहा है। जबकि चार में से दो बार जनता दल, दो बार निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। इसलिए कांग्रेस के लिए जीत को बरकरार रखना व भाजपा के लिए जीत का खाला खोलना ही सबसे बड़ी चुनौती है।
कुल मतदाता : 19 लाख 28 हजार 972
पुरुष मतदाता : 10 लाख 29 हजार 490 महिला मतदाता: 8 लाख 99 हजार 472 2014 के परिणाम पर एक नजर
मतदान : 57.04 प्रतिशत बहादुरसिंह कोली भाजपा : 5,79,825
डॉ.सुरेश यादव कांग्रेस : 3,34,357
पुरुष मतदाता : 10 लाख 29 हजार 490 महिला मतदाता: 8 लाख 99 हजार 472 2014 के परिणाम पर एक नजर
मतदान : 57.04 प्रतिशत बहादुरसिंह कोली भाजपा : 5,79,825
डॉ.सुरेश यादव कांग्रेस : 3,34,357
महेंद्र कुमार जाटव बसपा : 22090 अब तक सांसद वर्ष सांसद
1952 गिरिराजशरण 1957 राजबहादुर
1962 राजबहादुर 1967 ब्रजेंद्र सिंह
1971 राजबहादुर 1977 रामकिशन
1980 राजेश पायलट 1984 नटवर सिंह
1989 विश्वेंद्र सिंह
1952 गिरिराजशरण 1957 राजबहादुर
1962 राजबहादुर 1967 ब्रजेंद्र सिंह
1971 राजबहादुर 1977 रामकिशन
1980 राजेश पायलट 1984 नटवर सिंह
1989 विश्वेंद्र सिंह
1991 कृष्णेंद्र कौर
1996 दिव्या सिंह 1998 नटवर सिंह
1999 विश्वेंद्र सिंह 2004 विश्वेंद्र सिंह
2008 रतनसिंह 2014 बहादुर सिंह कोली
(भरतपुर जिले का बयाना समेत कुछ इलाका पहले बयाना-धौलपुर लोकसभा सीट में आता था। वर्ष 1991, 1996, 1998 में गंगाराम कोली, 1999 में बहादुर सिंह कोली, 2004 में रामस्वरूप कोली इसी सीट सांसद चुने गए थे।)
1996 दिव्या सिंह 1998 नटवर सिंह
1999 विश्वेंद्र सिंह 2004 विश्वेंद्र सिंह
2008 रतनसिंह 2014 बहादुर सिंह कोली
(भरतपुर जिले का बयाना समेत कुछ इलाका पहले बयाना-धौलपुर लोकसभा सीट में आता था। वर्ष 1991, 1996, 1998 में गंगाराम कोली, 1999 में बहादुर सिंह कोली, 2004 में रामस्वरूप कोली इसी सीट सांसद चुने गए थे।)