गौरतलब है कि किसानों की परेशानी को लेकर राजस्थान पत्रिका ने 17 जनवरी को ’35 साल पहले जिस किसान की मौत उसके नाम पर भी दिया ऋणÓ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। इसके बाद 18 जनवरी से पत्रिका ने 18 जनवरी से ‘कर्ज के दर्द से कराहते किसानों ने प्रशासन से लगाई गुहारÓ में कर्ज का कांटा अभियान शुरू किया।
इस पर डीग के तहसीलदार ने कस्बे में संचालित 25 ग्राम सेवा सहकारी समितियों के रिकॉड जब्त किए हैं। फिर भी रिकॉर्ड जब्त होने के बाद लगता है जांच शुरू नहीं की गई है। पूर्व सरपंच मोहनसिंह के नेतृत्व में दिए जा रहे धरने पर बैठा प्रशासन से बैंक में किसानों के दर्ज स्टेटमेंट यानि लेनदेन की वस्तुस्थिति बताने, किसानों पर दर्ज जाम के मामलों को वापस लेने, बैंक में रिकॉर्ड को खुर्दबुर्द करने वालों पर कार्रवाई, ऋणमाफी मामले की जांच सीआईडीसीबी से कराने, ऋण राशि को मय ब्याज के वापस दिलाने आदि की मांग कर रहा है।
बावजूद इसके धरने पर भी स्थानीय व जिला प्रशासन ने किसानों की परेशानी की सुध नहीं ली है। इसके चलते बुधवार को किसानों का प्रतिनिधिमंडल डीग में एडीएम बीएल रमण से मिलने पहुंचा। पूर्व सरपंच ने बताया कि एडीएम नहीं मिले। लेकिन, किसानों को शीघ्र ही जिला स्तर से जांच कराने का आश्वासन जरूर दिया गया। उन्होंने बताया कि अब कोर्ट की शरण में जाना पड़ेगा। डीग में एसडीएम शेरसिंह लुहाडिय़ा ने बताया कि जिला प्रशासन के स्तर से किसानों की ऋण्माफी की जांच को लेकर कोई जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है तो मेरी जानकारी में नहीं है।