scriptशोधार्थियों को पढ़ाने होंगे स्नातक व स्नातकोत्तर के विद्यार्थी, अनुपस्थित रहे तो लगेगा जुर्माना | Brij University : New rules for researchers applied by the University | Patrika News

शोधार्थियों को पढ़ाने होंगे स्नातक व स्नातकोत्तर के विद्यार्थी, अनुपस्थित रहे तो लगेगा जुर्माना

locationभरतपुरPublished: May 26, 2019 09:31:26 pm

Submitted by:

shyamveer Singh

भरतपुर. महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय से पीएचडी करने वाले शोधार्थियों को अब शोध कार्य के साथ ही स्नातक और स्नातकोत्तर के विद्यार्थियों को भी पढ़ाना होगा। यह निर्णय हाल ही में आयोजित बोम बैठक में लिया गया। इतना ही नहीं यदि शोधार्थी स्नातक और स्नातकोत्तर की क्लास नहीं लेता है तो उसे प्रति क्लास/लेक्चर एक हजार रुपए जुर्माना भी देना होगा।

Brij University : New rules for researchers applied by the University

शोधार्थियों को पढ़ाने होंगे स्नातक व स्नातकोत्तर के विद्यार्थी, अनुपस्थित रहे तो लगेगा जुर्माना

भरतपुर. महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय से पीएचडी करने वाले शोधार्थियों को अब शोध कार्य के साथ ही स्नातक और स्नातकोत्तर के विद्यार्थियों को भी पढ़ाना होगा। यह निर्णय हाल ही में आयोजित बोम बैठक में लिया गया। इतना ही नहीं यदि शोधार्थी स्नातक और स्नातकोत्तर की क्लास नहीं लेता है तो उसे प्रति क्लास/लेक्चर एक हजार रुपए जुर्माना भी देना होगा। यह नियम सत्र 2018-19 व इसके बाद के शोधार्थियों पर लागू होंगे। हालांकि शोधार्थियों का कहना है कि यह विश्वविद्यालय प्रशासन के स्तर पर लिया गया निर्णय है, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का ऐसा नियम नहीं है।

ये है मंशा
विवि प्रशासन का मानना है कि उक्त नियम लागू करने के पीछे का उद्देश्य यह है कि कॉलेजों के कई विषयों में शिक्षकों की कमी चल रही है। ऐसे में शोधार्थियों द्वारा क्लास लेने से यह कमी कुछ हद तक कम हो जाएगी। साथ ही विद्यार्थियों को भी सुविधा मिलेगी।

वेतन नहीं तो जुर्माना कैसा?
विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा लिए गए निर्णय को लेकर कुछ शोधार्थियों का कहना है कि जब शोधार्थी को स्नातक व स्नातकोत्तर के विद्यार्थियों को पढ़ाने का कोई वेतन या भुगतान नहीं किया जाएगा तो फिर अनुपस्थित होने पर जुर्माने का प्रावधान भी गलत है।

न्यूनतम अवधि बढ़ाई
बोम की बैठक में पीएचडी की न्यूनतम अवधि को भी बढ़ाया गया है। पहले पीएचडी पूरी करने की न्यूनतम अवधि दो वर्ष थी, जिसे अब बढ़ाकर तीन साल कर दिया गया है।

वर्जन-
शोधार्थियों को यूजी व पीजी की क्लास लेने के निर्देश दिए गए हैं। विभाग अपने स्तर पर तय करेंगे कि शोधार्थियों से कितने लेक्चर करवाने हैं। इस नियम के लागू होने से शोधार्थी कोर्सवर्क प्रोपर करेगा और यहां रहना भी पड़ेगा। यह शोधार्थियों के लिए फायदेमंद रहेगा।
– राजेश गोयल, कुलसचिव, महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय, भरतपुर।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो