ये है मंशा
विवि प्रशासन का मानना है कि उक्त नियम लागू करने के पीछे का उद्देश्य यह है कि कॉलेजों के कई विषयों में शिक्षकों की कमी चल रही है। ऐसे में शोधार्थियों द्वारा क्लास लेने से यह कमी कुछ हद तक कम हो जाएगी। साथ ही विद्यार्थियों को भी सुविधा मिलेगी।
वेतन नहीं तो जुर्माना कैसा?
विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा लिए गए निर्णय को लेकर कुछ शोधार्थियों का कहना है कि जब शोधार्थी को स्नातक व स्नातकोत्तर के विद्यार्थियों को पढ़ाने का कोई वेतन या भुगतान नहीं किया जाएगा तो फिर अनुपस्थित होने पर जुर्माने का प्रावधान भी गलत है।
न्यूनतम अवधि बढ़ाई
बोम की बैठक में पीएचडी की न्यूनतम अवधि को भी बढ़ाया गया है। पहले पीएचडी पूरी करने की न्यूनतम अवधि दो वर्ष थी, जिसे अब बढ़ाकर तीन साल कर दिया गया है।
वर्जन-
शोधार्थियों को यूजी व पीजी की क्लास लेने के निर्देश दिए गए हैं। विभाग अपने स्तर पर तय करेंगे कि शोधार्थियों से कितने लेक्चर करवाने हैं। इस नियम के लागू होने से शोधार्थी कोर्सवर्क प्रोपर करेगा और यहां रहना भी पड़ेगा। यह शोधार्थियों के लिए फायदेमंद रहेगा।
– राजेश गोयल, कुलसचिव, महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय, भरतपुर।