भरतपुर

पोषाहार मैन्यू बदलने से गड़बड़ाया बजट…

भरतपुर. रुदावल के आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पढऩे वालेे नन्हे-मुन्ने बच्चों को आकर्षित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने पिछले दिनों पोषाहार मैन्यू मे बदलाव कर दिया है,लेकिन नए मैन्यू के अनुसार पोषाहार तैयार करने वाली संचालिकाओं पर बढ़ते बजट भार ने परेशान कर दिया है।

भरतपुरFeb 22, 2020 / 10:20 pm

pramod verma

पोषाहार मैन्यू बदलने से गड़बड़ाया बजट…

भरतपुर. रुदावल के आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पढऩे वालेे नन्हे-मुन्ने बच्चों को आकर्षित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने पिछले दिनों पोषाहार मैन्यू मे बदलाव कर दिया है,लेकिन नए मैन्यू के अनुसार पोषाहार तैयार करने वाली संचालिकाओं पर बढ़ते बजट भार ने परेशान कर दिया है। ये असमंजस में हैं कि नए मैन्यू के हिसाब से पोषाहार कैसे तैयार किया जाए,यहीं नहीं अधिकांश आंगनबाड़ी केन्द्रों पर तो बच्चों के पास पोषाहार खाने के बर्तन तक नहीं है। ऐसे में बच्चे घर से बर्तन लाते हंै या अखबार के रद्दी कागज पर पोषाहार लेते हैं।
आंगनबाड़ी में पढऩे वाले बच्चों को पूर्व में नाश्ते के रुप में चना, चनोरी व चिरवा एवं भोजन में एक दिन दलिया तो एक दिन खिचड़ी दी जाती थी। इसके लिए पोषाहार बनाने वाली को बजट के रुप में एक बच्चे पर आठ रुपए प्रतिदिन नाश्ता एवं खाने का दिया जाता था। राज्य सरकार ने पिछले दिनों आंगनबाड़ी में पोषाहार के मैन्यृ में बदलाव कर सप्ताह के छह दिन नाश्ता एवं भोजन तय किया है जिसमें नाश्ते में दूध, फल, तिल के लड्डू, पोहा, मुरमुरे एवं अंकुरित व उबली दालों के अलावा भोजन में मीठा दलिया, रोटी,सब्जी, दाल, खिचड़ी, चावल, चना दाल व लौकी, बाजरा खिचड़ी या कढ़ी-चावल एवं खिचड़़ी नीबू के साथ दिए जाने का सप्ताह के वार सहित पोषाहार निर्धारित किया है।
मजे की बात तो यह है कि सरकार ने इस पोषाहार मैन्यू में बुधवार को एक बच्चे को सौ ग्राम दूध तय किया है जो कि बाजार भाव के अनुसार चार रुपए का होता है इसके अलावा चार रुपए मे भोजन की व्यवस्था करनी हैं। ऐसे में पोषाहार बनाने वाली संचालिकाओं के सामने इस व्यवस्था को बनाने के लिए संकटखड़ा हो गया है। इसके अलावा गुरुवार को गर्मियों में देशी घी से बना बेसन का लड्डू देना है जो कि एक लड्डू ही दस रुपए से कम नहीं होता है। ऐसी स्थिति में नए मैन्यू के अनुसार पोषाहार बनाना मुश्किल भरा काम है। इसके साथ ही आंगनबाड़ी पाठशालाओं में पोषाहार खाने के लिए बच्चों को बर्तनों की व्यवस्था नहीं है। शनिवार को कस्बे के एक केन्द्र पर देखा तो बच्चे पोषाहार के लिए अपने घरों से ही बर्तन लेकर पहुंचे।
रूपवास में सीडीपीओ श्याम प्रकाश चौधरी का कहना है कि पिछले दिनों ही पोषाहार के मैन्यू में बदलाव किया गया है। इसके लिए बजट बढ़ाने जैसे कोईआदेश नहीं आएं है। सम्भावना है कि एक अप्रेल से बजट राशि में बढ़ोत्तरी हो सकती है। फिर भी प्रति बच्चा साढ़े तीन रुपए नाश्ता एवं साढ़े चार रुपए भोजन के रुप में भुगतान होता है। किसी दिन अधिक खर्चा आता है तो किसी दिन कम खर्च भी होता है।

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