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भरतपुर

सरकार ने माना…न्यास में बगैर कारण कटवाए जा रहे लोगों को चक्कर

नगर विकास न्यास: नाम हस्तांतरण प्रकरणों में नहीं ली जाएगी मौका रिपोर्ट

भरतपुरJan 19, 2020 / 05:27 pm

Meghshyam Parashar

भरतपुर. नगर विकास न्यास की योजनाओं में भूखंडों का बेचान करने या पिता की संपत्ति संतान के नाम हस्तांतरण करने की प्रक्रिया में अब मौका रिपोर्ट नहीं ली जाएगी। ले-आउट और नक्शे की भी जांच नहीं कराई जाएगी। इसके अलावा मूल क्रेता या आवंटी की ओर से विक्रय पत्र या गिफ्ट डीड करने पर विज्ञप्ति जारी करने की बाध्यता भी समाप्त कर दी है। उत्तराधिकारी और एक से अधिक बार पट्टा हस्तांतरण के मामलों में ही विज्ञप्ति प्रकाशित कराने की बाध्यता होगी। इसमें आवेदन निस्तारण की प्रक्रिया में कम समय लगेगा। नगरीय विकास विभाग ने नाम हस्तांतरण के मामलों में लोगों को बार-बार चक्कर कटवाने की प्रवृत्ति पर सख्ती दिखाते हुए निर्धारित समय अवधि में प्रकरण का निस्तारण करने के आदेश दिए हैं। आदेश में यह भी लिखा है कि बार-बार चक्कर कटवाने और महीनों तक कार्य अटकाने से प्रशासन की छवि भी खराब हो रही है। अभी तक ऐसे मामलों में सेटबैक, ले आउट प्लान और भवन निर्माण स्वीकृति के लिए कनिष्ठ अभियंता और अन्य अधिकारी जांच के नाम पर न्यास कार्यालय के बार-बार चक्कर कटवा रहे हैं। नगरीय विकास विभाग ने आदेश में सख्त हिदायत दी है कि नाम हस्तांतरण प्रक्रिया निर्धारित समय सीमा में पूरी नहीं करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। विभाग ने माना है कि नाम हस्तांतरण की प्रक्रिया सहज नहीं होने पर शुल्क और नगरीय कर की दर में बढ़ोतरी से होने वाली आय नहीं होती। प्रक्रिया सहज होने पर न्यास की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
होटल-मोटल के लिए मिलेगी छूट

नगरीय विकास विभाग ने अब पर्यटन इकाई के रूप में होटल, मोटल और रिसोर्ट भवनों की स्वीकृति में भी शिथिलता देने का आदेश जारी किया है। एकीकृत भवन अधिनियम 2017 के अनुसार होटल, मोटल और रिसोर्ट के भूखंड बड़े शहरों में न्यूनतम 18 मीटर और छोटे शहरों में 15 मीटर चौड़ी सड़क पर होना चाहिए। अब बड़े शहरों में 15 मीटर और छोटे शहरों में 12 मीटर चौड़े मार्ग पर भी भवन निर्माण स्वीकृति दे दी जाएगी। यह छूट विशेष प्रकरणों में निवेश और वहां लोगों को रोजगार उपलब्ध कराए जाने की संभावना के आधार पर दी जाएगी।
इस तरह रहेगी प्रक्रिया

पूर्व में चैनल डॉक्यूमेंट्स के साथ-साथ शपथ-पत्र व अन्य कई पेचीदगियां भी पूरी करनी होती थी।अब स्वयं सत्यापन के साथ चैनल डॉक्यूमेंट्स व मृत्यु प्रमाण पत्र आवेदन के साथ पेश करना होगा। आवेदन करने के साथ ही जेईएन या अन्य सक्षम अधिकारी मौका निरीक्षण करता था। अब जेईएन या अन्य अधिकारी के मौका रिपोर्ट की बाध्यता को हटा दिया है। पूर्व में ले-आउट व नक्शे की जांच के साथ सेटबैक भी देखा जाता था। कवर होने पर निर्माण को हटाना पड़ता था। अब ले-आउट व नक्शे की जांच नहीं होगी। अब तक हर मामलों में उजरदारी के प्रकाशन के 15 दिन पहले पत्रावली नहीं चलती थी। अब अब वास्तविक खरीदार/आवंटी के विक्रय पत्र/गिफ्ट डीड में प्रकाशन की आवश्यकता नहीं होगी।
-राज्य सरकार ने नाम हस्तांतरण की प्रक्रिया का सरलीकरण किया है। अकारण लोगों को न्यास के चक्कर काटने नहीं पड़ेंगे। सरकार की मंशा के अनुसार प्रकरणों का निस्तारण किया जाएगा।
उम्मेदीलाल मीणा
सचिव नगर सुधार न्यास
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