भरतपुर

केंद्र के आदेश के बाद चिकित्सा विभाग व प्रशासन में भी घमासान…

-भरतपुर में निजी हॉस्पिटल को पीएम केयर्स फंड के वेंटीलेटर देने का मुद्दा प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचा, राजस्थान का नाम भी इसमें शामिल-राजस्थान पत्रिका की खबरों के बाद देशभर में छाया रहा मुद्दा

भरतपुरMay 16, 2021 / 05:07 pm

Meghshyam Parashar

केंद्र के आदेश के बाद चिकित्सा विभाग व प्रशासन में भी घमासान…

भरतपुर. रसूख के दबाव में शहर के निजी जिदंल हॉस्पिटल को देने के मामले का खुलासा होने के बाद भले ही राज्य सरकार ने बचाव के लिए आदेश निकाल दिया है, लेकिन अब यह मामला और भी उलझता जा रहा है। खुद प्रधानमंत्री ने दिल्ली में हुई बैठक में इस प्रकरण को लेकर ऑडिट कराने के आदेश दिए हैं। इससे पूर्व नौ मई 2021 को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव डॉ. मनदीप के भंडारी ने कुछ सरकारों की शिकायत पर रिपोर्ट दी थी। इसमें उल्लेख किया था कि कब-कब पीएम केयर्स फंड के तहत आवंटित वेंटीलेटर्स इंस्टॉल करने के लिए रिमाइंडर भेजा गया। इसमें खरीद से लेकर जांच तक की प्रक्रिया के साथ प्रशिक्षण तक के लिए रिमाइंडर के बारे में बताया गया। अब शनिवार को पीएमओ ऑफिस ने पीएम केयर्स फंड के वेंटीलेटरों की ऑडिट कराने के लिए आदेश दिया है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान पत्रिका ने नौ मई के अंक में गरीबों के हक की सांसों पर रसूख का साया शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर जिला प्रशासन के काले कारनामे का खुलासा किया था। इसके बाद विपक्ष ने भी इस मुद्दे को जमकर उठाया था। इसी का परिणाम था कि राज्य सरकार को आनन-फानन में आदेश निकालना पड़ा कि अगर सरकारी अस्पतालों में अतिरिक्त संसाधन है तो वह निजी हॉस्पिटल को दिए जा सकते हैं। हालांकि अब अधिकारियों में भी जांच रिपोर्ट को लेकर उलझन की स्थिति बनी हुई है।
यहां नहीं देख रहे मनमानी

भले ही मनमानी का मुद्दा देश में गूंज रहा हो, लेकिन जिले में इसको लेकर कोई गंभीर नजर नहीं आ रहा है। कहने को तो जिला प्रशासन ने भी एम्बुलेंस की दरें तय कर दीं, लेकिन इसकी पालना हो रही है कि नहीं इसकी ओर देखने वाला कोई नहीं है। निजी अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन के नाम पर मनमानी वसूली की जा रही है, लेकिन इसकी चिकित्सा विभाग एवं जिला प्रशासन के स्तर पर मॉनीटरिंग नजर नहीं आ रही है। इसी का नतीजा है कि निजी अस्पतालों की मनमानी चरम पर नजर आ रही है।
अब रेगूलेटरों की मारामारी, मतलब अफसरों में भय

ऑडिट के आदेश के साथ ही अब आरबीएम अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडरों के लिए रेगुलेटरों की मारामारी भी शुरू हो गई है। बताते हैं कि अस्पताल में उपलब्ध वेंटीलेटरों की संख्या बढाने पर फोकस किया जा रहा है। ऐसा अब क्यों किया जा रहा है, यह बात भी सवाल खड़े रहे हैं। कहीं न कहीं अंदरखाने जांच का भय साफ दिखाई दे रहा है।
-केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को ज्ञापन देकर मांग की गई थी। जहां सूचना आई है कि केंद्र सरकार ने सभी राज्यों में पीएम केयर्स के तहत आवंटित वेंटीलेटर्स व अन्य सामान की ऑडिट कराने के आदेश दिए हैं। साथ ही भरतपुर की जांच अलग से कराने का आग्रह किया गया था। क्योंकि सबसे बड़ा घोटाला भरतपुर में ही हुआ है। आम मरीजों के साथ मनमाने शुल्क वसूले गए हैं। इसमें जांच होना भी आवश्यक है ताकि जिम्मेदार व रसूख के दबाव में कौन-कौन दोषी है, उनके खिलाफ कार्रवाई हो सके।
-रंजीता कोली, सांसद

इधर, केरल हाईकोर्ट भी दे चुका है निर्णय, सरकारी दर पर इलाज करें निजी अस्पताल

भरतपुर . केरल हाईकोर्ट ने निजी अस्पतालों की मनमानी पर सख्त लहजे में चेतावनी जारी है। हाईकोर्ट ने निजी अस्पतालों को सरकारी दर पर ही आमजन का इलाज करने की नसीहत दी है। इसके उलट यहां सरकारी स्तर पर इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। इसी का नतीजा है कि निजी अस्पतालों की मनमानी नहीं रुक रही है। केरल हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए करते हुए कहा कि निजी अस्पताल सरकार द्वारा तय दर पर ही कोरोना मरीजों का इलाज करेंगे। न्यायाधीश देवन रामचन्द्रन और कौसर ने कहा कि एक मरीज से निजी अस्पताल में पीपीई किट के 22 हजार रुपए ले लिए। अदालत ने कहा कि जो आदमी चंद हजार रुपए वह दो से तीन लाख रुपए का बिल देखेगा तो उस पर क्या गुजरेगी। संक्रमण किसी को भी हो सकता है, लेकिन निजी अस्पताल लूट मचा रहे हैं। अदालत यह बात सरकार द्वारा इलाज की दर करने के बाद निजी अस्पतालों द्वारा इसके खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कही। केरल सरकार ने आदेश जारी किया है कि जनरल वार्ड के एक बेड के लिए 2645 रुपए का बिल बनेगा, जिसमें ऑक्सीजन, एक्सरे और डॉक्टरी सलाह सब शामिल हैं।

Home / Bharatpur / केंद्र के आदेश के बाद चिकित्सा विभाग व प्रशासन में भी घमासान…

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.