यह है विभाग का फरमान शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा की ओर से लिए गए निर्णय के अनुसार माध्यमिक शिक्षा निदेशक हिमांशु ने आदेश जारी कर प्रदेश के स्कूलों में शिक्षकों के लिए शाला दर्पण पोर्टल पर ऑनलाइन उपस्थिति का निर्णय पारित किया था, लेकिन अधिकांश स्कूलों में संसाधन ही नहीं है। वहीं कम्प्यूटर शिक्षक के अभाव में स्कूलों में धूल फांक रहे हैं। शाला दर्पण की साइट ज्यादातर समय ओवरलोड रहती है। जिस पर परीक्षा परिणाम, छात्रवृत्ति एवं अन्य इतने अधिक ऑनलाइन कार्य किए जा रहे हैं इसमें वह पहले से ही बहुत धीमी गति से चलती है, इससे साइट पूरी तरह से ब्लॉक हो जाती है।
शिक्षक संगठनों ने खड़े किए आदेश पर यह सवाल -शिक्षकों के अवकाश ऑनलाइन स्वीकृत होंगे अन्य विभाग के नहीं, इसका सीधा साधा मतलब है विभाग की नजर में गलत सिर्फ शिक्षक वर्ग ही है अन्य कर्मचारी वर्ग नहीं।
-जिला मुख्यालय के अन्य विभागों के अवकाश पोर्टल पर नहीं स्वीकृत होंगे जबकि जिला मुख्यालय पर नेट भी अच्छा चलता है पर दूर दराज ढाणी के शिक्षक की उपस्थिति ऑनलाइन जबकि वहां नेट नहीं, समय पर बिजली नहीं।
-आकस्मिक अवकाश ऑनलाइन स्वीकृति का कही प्रावधान नहीं है। मैन्युअल ही प्रावधान पर शिक्षकों पर गाज गिरी।
-कर्मचारियों के निकट रिश्तेदार या परिचित के निधन पर बिना सूचना के भी आकस्मिक अवकाश स्वीकृत होता है। ऑनलाइन प्रक्रिया में प्रावधान पर शिक्षकों को पोर्टल पर पूर्व में स्वीकृत कराना होगा जैसे किसी की मृत्यु का पूर्व आभास होगा।
-विभिन्न अधिकारियों, प्रशासनिक सुधार विभाग के औचक निरीक्षण में सबसे ज्यादा अन्य विभागों के कर्मचारी अनुपस्थित मिलते है शिक्षक न्यून अनुपस्थित मिलते है पर गलत तो शिक्षक ही माना जाएगा।
-ट्रांसफर का आवेदन तो कोई ई-मित्र पर डलवा दे पर रोज-रोज अवकाश के लिए कोई रोज क्यों जाएगा। अनेक शिक्षकों को कम्प्यूटर का ज्ञान नहीं वो पोर्टल पर कैसे प्रार्थना पत्र डालेंगे।
-एक तरफ सरकार शिक्षकों के विद्यालय में मोबाइल पर रोक लगा रखी है फिर शिक्षक को अचानक आवश्यक कार्य आ जाए तो वो कैसे अवकाश लेगा।
-जिला मुख्यालय के अन्य विभागों के अवकाश पोर्टल पर नहीं स्वीकृत होंगे जबकि जिला मुख्यालय पर नेट भी अच्छा चलता है पर दूर दराज ढाणी के शिक्षक की उपस्थिति ऑनलाइन जबकि वहां नेट नहीं, समय पर बिजली नहीं।
-आकस्मिक अवकाश ऑनलाइन स्वीकृति का कही प्रावधान नहीं है। मैन्युअल ही प्रावधान पर शिक्षकों पर गाज गिरी।
-कर्मचारियों के निकट रिश्तेदार या परिचित के निधन पर बिना सूचना के भी आकस्मिक अवकाश स्वीकृत होता है। ऑनलाइन प्रक्रिया में प्रावधान पर शिक्षकों को पोर्टल पर पूर्व में स्वीकृत कराना होगा जैसे किसी की मृत्यु का पूर्व आभास होगा।
-विभिन्न अधिकारियों, प्रशासनिक सुधार विभाग के औचक निरीक्षण में सबसे ज्यादा अन्य विभागों के कर्मचारी अनुपस्थित मिलते है शिक्षक न्यून अनुपस्थित मिलते है पर गलत तो शिक्षक ही माना जाएगा।
-ट्रांसफर का आवेदन तो कोई ई-मित्र पर डलवा दे पर रोज-रोज अवकाश के लिए कोई रोज क्यों जाएगा। अनेक शिक्षकों को कम्प्यूटर का ज्ञान नहीं वो पोर्टल पर कैसे प्रार्थना पत्र डालेंगे।
-एक तरफ सरकार शिक्षकों के विद्यालय में मोबाइल पर रोक लगा रखी है फिर शिक्षक को अचानक आवश्यक कार्य आ जाए तो वो कैसे अवकाश लेगा।
-जिले में सभी स्कूलों में शिक्षकों की शत-प्रतिशत उपस्थिति नए आदेश के तहत की जा रही है। जहां कम्प्यूटर उपलब्ध नहीं है, वहां संस्था प्रधान के मोबाइल से उपस्थिति दर्ज की जाती है। क्योंकि संस्था प्रधान को मोबाइल रखने पर कोईपाबंदी नहीं है।
प्रेमसिंह कुंतल
जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक (मुख्यालय)
प्रेमसिंह कुंतल
जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक (मुख्यालय)
-सरकार का यह आदेश शिक्षक वर्ग को प्रताडि़त करने वाला है। अगर ऑनलाइन उपस्थिति ही दर्ज करानी है तो स्कूलों में कम्प्यूटर उपकरण कराने चाहिए। बहुत सारे स्कूलों में तो इंटरनेट कनेक्शन ही नहीं है। इसके बाद शिक्षकों के मोबाइल ले जाने पर भी पाबंदी है। अब शिक्षक इसमें क्या कर सकते हैं? कोईभी आदेश लागू करने से पहले चाहिए कि उसकी पालना कराने पर भी विचार किया जाए।
पवन शर्मा
प्रदेश संयुक्त संयुक्त सचिव
राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत
पवन शर्मा
प्रदेश संयुक्त संयुक्त सचिव
राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत
-सरकार की ओर से जल्दबाजी में लिया गया यह निर्णय शिक्षकों के लिए सिरदर्द बना है। प्रदेश के दूरदराज के ग्रामीण विद्यालय में नेट की अव्यवस्था रहती है। समय पर ऑनलाइन उपस्थिति नहीं हो पाती। विद्यालयों मेें किसी भी प्रकार का इंटरनेट संबंधी साधन उपलब्ध नहीं है।
दीनदयाल शर्मा
जिलाध्यक्ष राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय
दीनदयाल शर्मा
जिलाध्यक्ष राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय