इसके उपचार के लिए ट्रायकोडरमा व बीटी दवा उपयोग में लेते हैं। चने में गिराड़ (लट) लगने पर एनपीवी जैविक का छिड़काव करते हैं और नीम आधारित दवाएं भी देते हैं। इससे किसानोंं की उपज में पांच प्रतिशत इजाफा होगा। किसान इस पद्धति का उपयोग करने लगे हैं।
भरतपुरPublished: Dec 02, 2018 10:28:31 pm
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भरतपुर. किसान को जैविक पद्धति से जहां आय में वृद्धि होगी वहीं फसल रोग मुक्त होंगी। इस पद्धति से सरसों व चना की फसल में लगने वाले कीट, खरपतवार और रोग से सुरक्षा मिलेगी, वहीं उपज में इजाफा होगा। जिले में 02 लाख किसान कृषि कार्य पर आधारित हैं।
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