यही वजह है कि भरतपुर सहित पूरे राज्य में कॉपरेटिव बैंक अब कंगाली की हालत से गुजर रही हैं। ऐसे में वित्तीय संसाधनों के अभाव में बैंक नए किसानों को फसली ऋण मुहैया कहां से कराएगी। इसलिए सहकारी बैंकों के स्तर पर ऋण वितरण की प्रक्रिया रुकी पड़ी है। यानि अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
सूत्रों का कहना है कि जिले में 265 सहकारी समितियां हैं, जिनमें करीब 1.5 लाख किसान सदस्य हैं। इन किसानों को कॉपरेटिव बैंक के माध्यम से फसली ऋण दिया जाता है। इनमें से लगभग 1.34 लाख किसान सदस्यों ने पिछले वित्तीय वर्ष में 263 करोड़ रुपए का ऋण लिया। सरकार के निर्देश पर बैंक ने माफ कर दिया। इस स्थिति में सरकार ने केवल 98 करोड़ रुपए ऋण वापस किया था। जबकि, बैंक का 165 करोड़ रुपए अब भी बकाया है जिसे लौटाया नहीं गया। अब वित्तीय संकट से जूझती बैंक पर इतनी राशि नहीं है कि नए किसानों को ऋण की व्यवस्था कर सके।
इसलिए वित्तीय स्थिति गड़बड़ाने से कॉपरेटिव बैंक भी हाथ पर हाथ धरे बैठी है। वहीं जिम्मेदार अधिकारी भी सच को छिपाने का प्रयास कर रहे हैं। सैंट्रल कॉपरेटिव बैंक भरतपुर के प्रबंध निदेशक बिजेंद्र कुमार शर्मा का कहना है कि नए किसानों को खरीफ पर फसली ऋण देने के आदेश आए हैं। वैसे आज मैं छुट्टी पर हूं। बैंक की वित्तीय स्थिति ठीक ही है फिर भी इसके बारे में कागज देखकर बताऊंगा।