scriptआंचल में दूध है, लेकिन सिस्टम की आंखों से पानी गायब | Disappearing from the eyes of the system | Patrika News

आंचल में दूध है, लेकिन सिस्टम की आंखों से पानी गायब

locationभरतपुरPublished: Jan 18, 2021 02:01:49 pm

Submitted by:

Meghshyam Parashar

– मदर मिल्क बैंक की टूट रही छत, वैक्टेरिया का अंदेशा

आंचल में दूध है, लेकिन सिस्टम की आंखों से पानी गायब

आंचल में दूध है, लेकिन सिस्टम की आंखों से पानी गायब

भरतपुर. मां के आंचल में दूध है और वह धाय मां बनकर दूसरे नौनिहालों की जिंदगी बचाने की खातिर जनाना अस्पताल स्थित आंचल मदर मिल्क बैंक पहुंच रही हैं, लेकिन जिम्मेदारों की आंखों से सूखे पानी के चलते मां यहां अपना दूध दान नहीं कर पा रही हैं। वजह, मिल्क बैंक की छत टूटी होने के कारण यहां दूध का प्रोसेसिंग बेहतर तरीके से नहीं होने के कारण वैक्टीरिया पनपने का खतरा है। इसके चलते बैंक में अब दूध नहीं लिया जा रहा है।
मिल्क बैंक की छत टूटी होने के कारण पिछले छह-सात दिन से यहां पहुंचने वाली महिलाओं के दूध का स्टोरेज नहीं किया जा रहा है। इसका खामियाजा यहां अपने जिगर के टुकड़े के लिए दूध लेने पहुंचने वाली माताओं को उठाना पड़ सकता है। हालांकि अभी दूध का स्टोरेज है, लेकिन खपत को देखते हुए वह जल्द ही खत्म हो सकता है। ऐसे में नौनिहालों की जिंदगी बचाने के अलग से जतन करने होंगे। वर्तमान की बात करें तो मिल्क बैंक में 600-700 यूनिट दूध हर समय रहता है, लेकिन अब यह स्टोर महज 400 यूनिट तक सिमट गया है, जबकि वर्तमान में 18-20 यूनिट दूध ही जरुरतमंद बच्चों को काफी किफायत से उपलब्ध कराया जा रहा है। अमूमन बैंक से 40 से 45 यूनिट दूध प्रतिदिन की खपत है, जो अब घटकर 18 से 20 यूनिट तक पहुंच गई है।
इसलिए है खतरा

मदर मिल्क बैंक में दूध दान करने वाली माताओं का दूध मशीन के जरिए लिया जाता है, जिससे उन बच्चों की जिंदगी को संवारा जा सके, जिन माताओं का दूध नहीं उतरता है। अब यहां माताएं आ तो रही हैं, लेकिन उनका दूध नहीं लिया जा रहा। छत टूटी होने के कारण पानी रिसने एवं सर्दी के मौसम में नमी बहुत ज्यादा होने के कारण मशीन से दूध लेते समय वैक्टेरिया पनपने का खतरा बहुत ज्यादा है। इस सुरक्षा की दृष्टि से माताओं से दूध नहीं लिया जा रहा, जबकि जरूरतमंद इस ओर आंखें बंद किए बैठे हैं।
कुपोषित बच्चों की जिंदगी बचाने का जतन

मदर मिल्क बैंक से मां का दूध मिलने से कुपोषित बच्चों को सर्वाधिक फायदा मिल रहा है। इसी उद्देश्य से इनकी स्थापना की गई थी। इससे शिशु मृत्यु दर रोकने में मदद मिल रही है। मां का दूध मिलने से बीमारी से जूझने वाले कुपोषित बच्चों का इम्युनिटी पॉवर (रोग प्रतिकार क्षमता) भी बढ़ बढ़ती है।
इनका कहना है
मामला मेरी जानकारी में है। छत का काम कल हो जाएगा। छत को पूरी तरह से दुरुस्त करा दिया जाएगा।
– डॉ. रूपेन्द्र झा, प्रभारी जनाना अस्पताल भरतपुर

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो