इसे लेकर राजस्थान पशुचिकित्सा कर्मचारी संघ ने निजात दिलाने के उद्देश्य से न्यायालय में शरण ली थी। कोर्ट ने कोर्ट ने 14 दिसम्बर को जबाव पेश करने की अंतिम चेतावनी दी है। संघ ने पशुधन सहायकों की समस्या को लेकर सूचना के अधिकार के तहत जॉबवर्क की जानकारी मांगी। इसमें पशुधन सहायक व पशुचिकित्सा सहायकों से नियम विरुद्ध कार्य कराने की जानकारी मिली।
इस पर संघ ने वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन माथुर के माध्यम से उच्च न्यायालय में अधिसूचना जारी करने व अनुचित कार्य की रोकथाम को लेकर गत फरवरी माह में याचिका दायर की। कोर्ट ने 04 अप्रेल को विभाग से जबाव मांगा था। मगर नहीं दिया गया। अब कोर्ट ने 14 दिसम्बर 2018 को अंतिम मौका दिया है। राजस्थान पशुचिकित्सा कर्मचारी संघ भरतपुर जिलाध्यक्ष जतेंद्र फौजदार ने बताया कि राज्य में करीब 07 हजार और जिले में करीब 300 पशुधन सहायक व पशुचिकित्सा सहायक पशुचिकित्सालयों, पशु उपकेंद्र आदि पर कार्यरत हैं।
विभाग के भारतीय पशुचिकित्सा परिषद् (वीसीआई) अधिनियम 1984 के तहत पशुचिकित्सा का कार्य वेटेनरी सर्विस और माइनर वेटेनरी सर्विस इन दो श्रेणियों में है। वेटेनरी सर्विस में उपचार, टीकाकरण, बधियाकरण, कृत्रिम गर्भाधान व रिकॉर्ड संधारण का प्रावधान है। वहीं माइनर सर्विस में पशुधन सहायक व पशुचिकित्सा सहायक पशुओं का ताप, प्राथमिक उपचार, मरहम-पट्टी, ब्लड सैम्पल लेना आदि कार्य है। यह कार्य भी पशुचिकित्सक की मौजूदगी में करना होता है। लेकिन, यह बिना कित्सकों के पशुधन सहायकों से कराया जा रहा है।
संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग भरतपुर डॉ. नगेश चौधरी का कहना है कि पशुधन सहायक व पशुचिकित्सा सहायकों से पशुओं का उपचार कराने संबंधी मामला कोर्ट में है। इसमें 14 दिसम्बर को जबाव पेश करने का अंतिम अवसर दिया है। इसकी जानकारी मुझे नहीं है। यह निदेशालय स्तर पर दिया होगा।