12 से अधिक देशों में योग की शिक्षा दे चुके हैं डॉ. मोक्षराज
-अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास में नियुक्त रहे प्रथम सांस्कृतिक राजनयिक डॉ. मोक्षराज भारत लौटे

भरतपुर. भरतपुर के डॉ. मोक्षराज तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा कर हाल ही में भारत लौटे हैं। भारत-सरकार की ओर से उन्हें जनवरी 2018 में सांस्कृतिक राजनयिक के रूप में अमेरिका भेजा था। वे वहां भारतीय राजदूतावास वाशिंगटन में भारतीय संस्कृति शिक्षक के पद पर कार्यरत थे। एक होटल भरतपुर में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए डॉ. मोक्षराज ने कहा कि विश्व का कोई भी देश ऐसा नहीं है जिसकी तुलना भारत की संस्कृति, परिवारिक मूल्यों, सामाजिक-व्यवस्था तथा नैतिक मूल्यों से की जा सके। शाकाहार, अहिंसा, आयुर्वेद, योग, गोधन, मंत्रसम्पदा तथा वैदिक ग्रंथों के साथ-साथ पावन गंगा, हिमालय और समुद्रों के सुंदर किनारे विश्व की समस्त खूबियों को समेटकर भारत का श्रृंगार कर रहे हैं।
नगर तहसील स्थित मानौता कलां गांव में जन्मे डॉ. मोक्षराज का शैशवकाल नीम दरवाजा में बीता तथा उनकी प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा उनके गांव मानौता कलां के सरकारी स्कूलों से ही हुई थी, वे एक वर्ष भरतपुर के बरेला नगरा कला मंदिर में भी पढे तथा सन् 1997 में मल्टीपरपज स्कूल से भी उन्होंने स्वयंपाठी छात्र के रूप में परीक्षा दी थी। उनकी बहन गीता चौधरी भरतपुर में ही निवास करती हैं । उनके अधिकांश रिश्तेदार भी भरतपुर के नेहरू नगर, संजय कॉलोनी, इंदिरा नगर, कृष्णा कॉलोनी, गिरधरपुर, गोपाल नंगला, गुंडवा एवं नैवाड़ा में रहते हैं ।
जब दो साल के थे तब पिता का हुआ निधन
डॉ. मोक्षराज के पिता उम्मेद सिंह चौधरी राजस्थान रोडवेज में लिपिक के पद पर कार्यरत थे। 1980 में जिनकी एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। तब डॉ. मोक्षराज मात्र दो वर्ष के ही थे, इस कारण उनके जीवन में अनेक संघर्ष आना स्वाभाविक था। उनकी मां बीना चौधरी ने अनेक विपरीत परिस्थितियों का सामना किया। उनके पालनकर्ता ताऊजी मास्टर श्रीराम रहे। डॉ. मोक्षराज ने बताया कि उनको स्वास्थ्य, नैतिकता, राष्ट्रधर्म एवं योग के प्रति जागरूक करने में गांव के राजकीय विद्यालय में नियुक्त रहे राष्ट्रीय अनुशासन योजना प्रशिक्षक माणिकचंद बरखेड़ा तथा शारीरिक शिक्षक रघुवीर सिंह की प्रेरणा प्रमुख थी। गांव से पढ़ाई करते हुए न केवल दसवीं कक्षा में वरीयता सूची में अपना नाम दर्ज कराया बल्कि वे एमए वेद तथा आचार्य धर्मशास्त्र में भी गोल्ड मैडलिस्ट रहे। उन्होंने वेद में पीएचडी की है। प्रवासी भारतीय समुदाय तथा 12 से अधिक देशों के नागरिक भी उनसे योग, हिन्दी तथा भारतीय संस्कृति की शिक्षा ले चुके हैं। डॉ. मोक्षराज ने एम्बेसी के साथ-साथ जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी तथा जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में भी हिन्दी एवं भारतीय संस्कृति की शिक्षा दी है। जिसके लिए दोनों ही विश्वविद्यालयों ने भारत-सरकार तथा भारतीय दूतावास की विशेष प्रशंसा की है।
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