scriptE-rickshaw Driver Saved Lives Of Woman And 2 Children Commit Suicide In Sujan Ganga Canal | सुपरमैन बनकर आया ई-रिक्शा चालक, बचाई महिला और 2 बच्चों की जान | Patrika News

सुपरमैन बनकर आया ई-रिक्शा चालक, बचाई महिला और 2 बच्चों की जान

locationभरतपुरPublished: Sep 20, 2023 02:38:55 pm

Submitted by:

Akshita Deora

पति की प्रताड़नाओं से तंग आकर एक महिला जब अपने दो बच्चों को लेकर आत्महत्या के उद्देश्य से सुजान गंगा नहर की दीवार पर चढ़ गई, उसी दौरान वहां से गुजर रहा एक ई-रिक्शा चालक सुपर मैन बनकर आया और महिला व उसके दोनों बच्चों को नहर की दीवार से नीचे खींच लिया।

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भरतपुर. पति की प्रताड़नाओं से तंग आकर एक महिला जब अपने दो बच्चों को लेकर आत्महत्या के उद्देश्य से सुजान गंगा नहर की दीवार पर चढ़ गई, उसी दौरान वहां से गुजर रहा एक ई-रिक्शा चालक सुपर मैन बनकर आया और महिला व उसके दोनों बच्चों को नहर की दीवार से नीचे खींच लिया। इस मौके पर वहां बड़ी संख्या में तमाशबीन एकत्रित हो गए। बाद में उसे समझाकर पास ही चौबुर्जा चौकी ले गया, जहां पुलिस ने महिला के पिता को चौकी पर बुलाया, महिला को समझाइस कर उसके पति को सुपुर्द कर दिया। घटना मंगलवार शाम 4 बजे की है। हुआ यूं कि हीरादास विजय नगर निवासी करीब 34 वर्षीय महिला अपने करीब 7- 8 साल के एक बेटा और एक बेटी को लेकर चौबुर्जा से किले के प्रवेश द्वार के सामने बनी दीवार पर चढ़ गई।

वह बच्चों को लेकर सुजान गंगा नहर में छलांग लगाने ही वाली थी कि वहां से गुजर रहे ई- रिक्शा चालक दीपक शर्मा की उस पर नजर पड़ गई। उसने तुरंत रिक्सा को ब्रेक लगाया और दौड़कर महिला की तरफ गया और पीछे से महिला और बच्चों को पकड़ लिया तथा नहर की दीवार से नीचे सड़क पर उतार लिया। बाद में महिला ने उसे बताया कि उसका पति शराब पीकर रोजाना उसके साथ मारपीट करता है, जिससे वह तंग आ चुकी है और वह बच्चों के साथ आत्महत्या करने के उद्देश्य से ही नहर की दीवार पर चढ़ी। रिक्शा चालक दीपक शर्मा उसे पुलिस चौकी पर ले गया और पुलिस को उसकी कहानी बताई। जिस पर पुलिस ने उसके पिता को बुलाकर और महिला को समझाइश कर पिता को सुपुर्द कर दिया।

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बचाव नहीं, सिर्फ शव निकालने का इंतजाम
बताते हैं कि आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से दल में काफी संख्या में युवाओं को भर्ती किया गया है। पिछले कुछ माह पूर्व बचाव कार्य के लिए सामान व कुछ लोगों की 24 घंटे ड्यूटी लगाने की बात प्रशासनिक अधिकारियों ने कही थी, लेकिन हकीकत यह है कि इस दल का बचाव भी सुजानगंगा नहर में किसी के भी कूदने के बाद भी शुरू होता है। ऐसे में ज्यादातर केस में दल सुसाइड कर लेने के बाद उनके शव निकालने के लिए पहुंचता है।
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सुसाइड पॉइंट से कम नहीं है सुजानगंगा
कोरोनाकाल से लेकर अब तक बात करें तो सुजानगंगा नहर में सुसाइड करने वाले की संख्या 50 से भी कहीं अधिक है। ऐसे में सुजानगंगा नहर को सुसाइड कहना संभव है। हालंकि सुसाइड रोकने के लिए नगर निगम की ओर से जालियां लगाने व दीवारी ऊंची कराने की भी पहल की गई है, लेकिन अब तक इसका कोई खास असर नहीं पड़ा है। हकीकत यह है कि अब भी आए दिन सुसाइड के केस सामने आ रहे हैं। इनकी संख्या भी बढ़ रही है।

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