इनमें से जलदाय विभाग बीते नौ माह में 114 आरओ स्थापित किए। इसके बाद प्लांटों को सुचारू करने के लिए बिजली कनेक्शन की बात आई तो बजट के अभाव ने रोड़ा लगा दिया। अब विभाग को सुविधा मिली तो 37 प्लांटों को बिजली कनेक्शन से जुड़वाया। शेष 77 आरओ प्लांटों को कनेक्शन का इंतजार है। जबकि, 292 पर प्लांटों पर कार्य चल रहा है।
प्लांट जैसे-जैसे तैयार होते जाएं वैसे ही कनेक्शन होते रहने चाहिए। अगर विभाग के पास बजट का अभाव है तो विद्युत निगम और जलदाय विभाग के अधिकारियों को आपस में सामंजस्य रखना चाहिए। तब व्यवस्था सुचारू रूप से हो सकेगी। जिले में सबसे पहले वर्ष 2013-14 से 2017-18 तक तीन चरणों में 573 आरओ प्लांट लगाने की स्वीकृति मिली। इनमें से 572 आरओ वर्तमान सुचारू बताए गए हैं। बावजूद इसके जिले में ग्रामीण क्षेत्रों के हजारों लोग शुद्ध पेयजल को तरस रहे हैं।
इस स्थिति से अवगत सरकार ने वर्ष 2018-19 के सितम्बर माह में 406 आरओ और लगाने को स्वीकृति दी।अब तक 114 लगाए गए हैं जिनमें से बीते दो माह में 37 आरओ पर बिजली कनेक्शन हुए हैं, शेष तैयार प्लांट शोपीस बने हैं। वहीं 292 पर कार्य धीरे-धीरे चल रहा है। सूत्रों का कहना है कि नए आरओ में भरतपुर डिविजन में 3, सेवर में 4, कुम्हेर में 8, नदबई में 2, डीग में 7, नगर में 3, कामां में 6, पहाड़ी में 4 आरओ प्लांटों पर बिजली कनेक्शन होने से लोगों को थोड़ी राहत मिली है।
जलदाय विभाग भरतपुर में एसई हेमंत कुमार का कहना है कि गत वर्ष चौथे चरण में जिले में 406 नए आरओ प्लांट लगाने की स्वीकृति मिली थी। इनमे से 114 तैयार हैं इनमें से 37 प्लांटों पर बिजली कनेक्शन हो गए हैं। जैसे-जैसे तैयार होते जा रहे हैं कनेक्शन होते जाएंगे। इसमें विद्युत व जलदाय दोनों विभागों को सामंजस्य बैठाना है।