जिले में आबादी को देखते हुए प्रतिमाह करीब 11 करोड़ यूनिट की खपत है। इसे देखते हुए विद्युत निगम ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में 31 मार्च तक करीब 1.43 करोड़ यूनिट की आपूर्ति जिले में की है। इसमें 55 फीसदी यानि लगभग 79 करोड़ यूनिट का राजस्व मिल पाया है। शेष करीब 64 करोड़ यूनिट बिजली छीजत मानें तो चोरी में चली गई।
जिले में चोरी करने की शिकायत आने पर निगम ने कार्रवाई के लिए चार विजीलेंस की टीम गठित कर रखी हैं। ये टीम पहली बार बिजली चोरी करते पकडऩे वाले पर जुर्माना सहित बिल भरने की कार्रवाई करती है। नहीं भरने पर एफआईआर दर्ज कराती है। वहीं दोबारा पकड़े जाने पर एफआईआर के साथ जुर्माना वसूलने का कार्य करती है।
तीसरी बार पकडऩे पर सीधे ही एफआईआर दर्ज करा दी जाती है। वर्ष भर ऐसे सैंकड़ों केस सामने आते हैं। लेकिन, कोई कमी तो है जिसने बिजली चोरों के हौंसले बुलंद कर रखे हैं। ऐसे में जेवीवीएनएल को लगभग 6.25 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से प्रतिवर्ष 64 करोड़ यूनिट बिजली चोरी से बीते वित्तीय वर्ष में करीब 400 करोड़ रुपए का नुकसान है।
सूत्रों के अनुसार जिले में विद्युत निगम के करीब 03 लाख कनेक्शन हैं। इनमें से सैंकड़ों लोग ऐसे हैं जो बिजली की चोरी से अपने घर को रोशन कर रहे हैं। वहीं ऐसे भी हैं जिनके कनेक्शन नहीं है इसलिए जरूरत के हिसाब से बिजली चोरी को अंजाम देते हैं। शिकायत या रुटिन कार्रवाई के दौरान पकडऩे जाने पर जुर्माना या एफआईआर दर्ज कराकर इतिश्री कर लेते हैंं।
इस मामले में अगर ठोस कार्रवाई हो तो काफी हद तक नुकसान से बचा जा सकता है। भरतपुर जेवीवीएनएल के एसई मूलचंद चौधरी का कहना है कि बिजली चोरी से नुकसान होता है। विद्युत निगम जिले में बिजली चोरी रोकने के पूरे प्रयास करता है। शिकायत या सूचना मिलने पर चैकिंग और कार्रवाई की जाती है।