भरतपुर

सीमित संसाधनों का बेहतर उपयोग कर स्थापित करें उद्योग: एसीएस

एसएमई, डीएमआईसी, राजकीय उपक्रम, प्रवासी भारतीय एवं उद्योग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने कहा कि राज्य सरकार राज्य में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के प्रति गम्भीर है।

भरतपुरDec 06, 2019 / 11:11 pm

rohit sharma

सीमित संसाधनों का बेहतर उपयोग कर स्थापित करें उद्योग: एसीएस

भरतपुर. एसएमई, डीएमआईसी, राजकीय उपक्रम, प्रवासी भारतीय एवं उद्योग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने कहा कि राज्य सरकार राज्य में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के प्रति गम्भीर है। अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. अग्रवाल उद्योग विभाग की सारस चौराहे स्थित होटल राज पैलेस में संवाद कार्यक्रम के तहत संभाग स्तरीय कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में उद्योग संघों के पदाधिकारियों, उद्यमियों एवं अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की मंशा है कि सरकार एवं उद्यमियों के मध्य संवाद कायम कर नवीन औद्योगिक नीति का निर्माण ग्रास रूट के माध्यम से किया जाए। इससे सफल उद्योग नीति के रूप में उद्योगपतियों को बेहतर सुविधाओं के साथ उनकी समस्याओं का शत-प्रतिशत समाधान हो सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से संचालित एमएसएमई योजना के माध्यम से राज्य में बेहतर औद्योगिक वातारण निर्माण होने से निवेशकों का विश्वास कायम हुआ है इससे बाहरी निवेश को बढ़ावा मिलने के साथ ही पिछड़े क्षेत्रों में भी औद्योगिक विकास को गति मिली है। राज्य सरकार के सीमित संसाधन का बेहतर उपयोग तथा वित्तीय प्रबंधन के प्रावधानों का भी न्यूनतम उपयोग करें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा एकल खिडकी योजना को अपग्रेड कर वन स्टॉप शोप के रूप में पुन: लागू कर इसे और अधिक बेहतर बनाया जा रहा है जिससे उद्यमियों को निर्धारित समयावधि में सम्पूर्ण प्रक्रिया पूर्ण की जायेगी अन्यथा अधिकारियों की जबावदेही तय की जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने नीति निर्देशों के तहत नए स्थापित होने वाले उद्योगों को तीन वर्ष तक कोई भी निरीक्षण नहीं किए जाने की छूट रहेगी। उन्होंने कहा कि रीको का 10 प्रतिशत लाभांश भी उद्योगों की सुविधा प्रदान करने के लिए उपयोग किया जाएगा तथा रीको के भूखण्ड एवं विद्युत दरें कम कर रियायत देने की प्रयास राज्य सरकार की ओर से किए जा रहे हैं। जिला कलक्टर नथमल डिडेल ने कहा कि राज्य सरकार की दूरगामी सोच के परिणामस्वरूप उद्योग विभाग एक संवाद कार्यशाला का आयोजन कर सम्भाग स्तर पर सुझावों के माध्यम से उद्योग नीति तैयार हो।
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