scriptदेखिए मंत्रीजी…शहर की जनता सात दिन से कर रही बदबू का सामना, फिर भी जिम्मेदार चुप | Facing the stench for seven days, yet responsible silent | Patrika News

देखिए मंत्रीजी…शहर की जनता सात दिन से कर रही बदबू का सामना, फिर भी जिम्मेदार चुप

locationभरतपुरPublished: Jul 06, 2022 01:47:24 pm

Submitted by:

Meghshyam Parashar

-मांगों पर अड़े अस्थायी सफाईकर्मी, निगम के इंतजाम नाकाफी-ठेका कंपनी व अस्थायी सफाईकर्मियों की बीच विरोध जस का तस, भाजपा ने किया सद्बुद्धि यज्ञ

देखिए मंत्रीजी...शहर की जनता सात दिन से कर रही बदबू का सामना, फिर भी जिम्मेदार चुप

देखिए मंत्रीजी…शहर की जनता सात दिन से कर रही बदबू का सामना, फिर भी जिम्मेदार चुप

भरतपुर. नगर निगम की ओर से लागू की जा रही नई सफाई व्यवस्था को लेकर हो रही हड़ताल पर बुधवार को सात दिन गुजरने के बाद भी कोई निर्णय नहीं हो सका है। हालात यह है कि गली-मोहल्लों में कहीं सफाई हो रही है तो कहीं नहीं हो रही। इससे नगर निगम की ओर से सफाई व्यवस्था को लेकर किए जा रहे इंतजाम भी नाकाफी साबित हो रहे हैं। ठेका सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के चलते गत कई दिनों से शहर में जगह-जगह कचरे के ढेर लगे हुए थे। इससे शहरवासी परेशानी थे। सफाई व्यवस्था को लेकर सोमवार को भाजपा पार्षदों ने महापौर अभिजीत कुमार को ज्ञापन भी दिया था। इसमें शहर से कचरा उठाने के साथ ही सफाई कर्मचारियों की हड़ताल को समाप्त कराने के लिए वार्ता की मांग की गई। इस पर महापौर ने 48 घंटे का समय दिया था।
भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष गिरधारी तिवारी के नेतृत्व में नगर निगम के सामने सद्बुद्धि यज्ञ किया गया। इसमें शहर की खस्ताहाल व्यवस्था को लेकर जन आन्दोलन चलाने का निर्णय लिया गया। बैठक को संबोधित करते हुए पूर्व जिलाध्यक्ष गिरधारी तिवारी ने कहा कि एक ओर मंत्री सुभाष गर्ग व मेयर भरतपुर को चंडीगढ़ बनाने के सब्जबाग आमजन को दिखा रहे थे, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही निकली। मेयर ने व्यवस्था में पहले से करीब चार गुनी कीमत पर चहेती कम्पनी को ठेका दिलवाया, फि र भी कम्पनी शहर की सफ ाई व्यवस्था करने का कार्य भी नहीं कर पा रही है, जबकि उसको पूर्व में तैयारी करके कार्यादेश मिलते ही कार्य प्रारम्भ कर देना चाहिए था। गत छह दिन से शहर में हर घर के सामने कूड़े का ढेर लगा हुआ है, बरसात ने कोढ़ में खाज का काम किया है। कूड़ा करकट सड़कर उससे भयंकर दुर्गन्ध आमजन को जीने नहीं दे रही है। आन्दोलनरत सफ ाई कर्मियों व कम्पनी के बीच में मची खींचतान के चलते शहरवासियों को जहरीले वातावरण में जीना पड़ रहा है। इस अवसर पर नगर निगम पार्षद श्यामसुन्दर गौड़, कुलदीप जघीना, राजेश राठी, राजवीर घसौला, गोविन्द राजपूत, मनोज दुबे, मनोज शक्करपुर आदि कार्यकर्ता मौजूद थे।
बड़ा सवाल…आखिर जिम्मेदारों ने क्यों साधी चुप्पी

असल में सबसे बड़ा सवाल यह है कि पिछले काफी समय से नई सफाई व्यवस्था को लेकर विरोध हो रहा था। खुद पार्षदों का एक गुट भी विरोध कर रहा था। इतना ही नहीं कुछ पार्षदों ने चंडीगढ़ भ्रमण के बाद रिपोर्ट भी दी थी। इसमें भाजपा के भी कुछ पार्षद शामिल थे। असल में देखा जाए तो सफाई ठेका स्वीकृत कराने में भी विपक्ष के भी कुछ पार्षद शामिल थे। इन्हें नोटिस भी दिए गए थे। ऐसे में कुछ पार्षदों ने बताया कि अगर नगर निगम को हड़ताल नहीं करानी थी तो उन्हें पहले ही अस्थायी सफाई कर्मियों व ठेका कंपनी के बीच बैठक करानी चाहिए थे। ताकि शहरवासियों को गंदगी व बदबू का सामना नहीं करना पड़ता।
जहां से पांच-पांच मंत्री, अफसरों की फौज, फिर भी गोलमाल

इस समस्या को लेकर एक बड़ी बात यह भी सामने आ रही है कि जिले से दो कैबिनेट मंत्री व दो राज्यमंत्री के अलावा एक राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त है। इनमें एक ने भी अभी तक नगर निगम की नई सफाई व्यवस्था को लेकर सवाल नहीं उठाया है। इतना ही नहीं जिला मुख्यालय पर संभागीय आयुक्त, जिला कलक्टर व दो एडीएम के अलावा कई बड़े अधिकारी तक बैठते हैं, लेकिन इनके मौजूद होने के बाद भी सफाई व्यवस्था का विवाद नहीं सुलझना बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।
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