बड़ा सवाल…आखिर जिम्मेदारों ने क्यों साधी चुप्पी असल में सबसे बड़ा सवाल यह है कि पिछले काफी समय से नई सफाई व्यवस्था को लेकर विरोध हो रहा था। खुद पार्षदों का एक गुट भी विरोध कर रहा था। इतना ही नहीं कुछ पार्षदों ने चंडीगढ़ भ्रमण के बाद रिपोर्ट भी दी थी। इसमें भाजपा के भी कुछ पार्षद शामिल थे। असल में देखा जाए तो सफाई ठेका स्वीकृत कराने में भी विपक्ष के भी कुछ पार्षद शामिल थे। इन्हें नोटिस भी दिए गए थे। ऐसे में कुछ पार्षदों ने बताया कि अगर नगर निगम को हड़ताल नहीं करानी थी तो उन्हें पहले ही अस्थायी सफाई कर्मियों व ठेका कंपनी के बीच बैठक करानी चाहिए थे। ताकि शहरवासियों को गंदगी व बदबू का सामना नहीं करना पड़ता।
जहां से पांच-पांच मंत्री, अफसरों की फौज, फिर भी गोलमाल इस समस्या को लेकर एक बड़ी बात यह भी सामने आ रही है कि जिले से दो कैबिनेट मंत्री व दो राज्यमंत्री के अलावा एक राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त है। इनमें एक ने भी अभी तक नगर निगम की नई सफाई व्यवस्था को लेकर सवाल नहीं उठाया है। इतना ही नहीं जिला मुख्यालय पर संभागीय आयुक्त, जिला कलक्टर व दो एडीएम के अलावा कई बड़े अधिकारी तक बैठते हैं, लेकिन इनके मौजूद होने के बाद भी सफाई व्यवस्था का विवाद नहीं सुलझना बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।