आखिर कब और कौन करेगा विवाद का निस्तारण पिछले दो-तीन महीने से सिमको बचाओ संघर्ष समिति की ओर से ज्ञापन, धरना-प्रदर्शन किए जा रहे हैं। समिति लक्ष्मण मंदिर में फैक्ट्री प्रबंधन व संबंधित नेताओं को भी खुला मंच देकर वार्तालाप की चुनौती तक दे चुकी है। पिछले दिनों खुद राज्यमंत्री भी सिमको नेताओं पर निशाना साधते हुए जल्द ही फैक्ट्री को बड़ा ऑर्डर मिलने का दावा कर चुके हैं। हाल में ही फैक्ट्री प्रबंधन के डायरेक्टर भी 70 करोड़ का मालगाड़ी के डिब्बे बनाने का काम शुरू करने का दावा कर चुके हैं। अब सवाल यह है कि इनमें से सही कौन है। अगर गलत है तो कार्रवाई क्यों नहीं। साथ ही अगर सही है तो इतने बड़े विवाद का अधिकारी, राजनेता और श्रमिक नेताओं के साथ बैठकर निस्तारण क्यों नहीं किया जा रहा है। अन्यथा यह मामला भरतपुर के अन्य मुद्दों की तरह बयानबाजी ही होती रहेगी। इसमें नुकसान सिर्फ जनता का ही होगा।