जिसका खामियाजा गरीब परिवार भुगत रहे हैं। कृषि कार्य करते समय दुर्घटना में घायल व मृतक किसान के आश्रित अपने हक के लिए कई महीनों से मोहताज हैं। रहती है हादसे की संभावना
इस योजना का उद्देश्य है कि तेज गर्मी, बारिश और हाड़ कंपाती सर्दी में किसान अपनी जान की परवाह किए बगैर फसल बोता है, उसकी सुरक्षा पर चौकस रहता है। ऐसे में उसके साथ किसी भी दुर्घटना व हादसे की सम्भवना बनी रहती है, जिस पर उन्हें सहायता राशि मुहैया कराई जाए।
दुर्घटना पर सहायता राशि कृषि यंत्र से कार्य, सिंचाई के लिए कुआं खोदना, ट्यूबवैल लगाना, ट्यूबवैल पर कनेक्शन करते समय करंट लगने, खेतों के ऊपर से गुजरती विद्युत लाइन से करंट लगने पर मृत्यु या अंग-भंग, मंडी में बोरी की धांग लगाते मृत्यु, मंडी में ट्रैक्टर-ट्रॉली पलटने से काश्तकार की मृत्यु व अंग-भंग, फसल बेचकर गांव लौटते समय दुर्घटना में मृत्यु, कुट्टी काटते समय दुर्घटना, टांके में डूबने, फसल की रखवाली करते समय दुर्घटना आदि पर उपरोक्त योजना में सहायता राशि दी जाती है।
ऐसे होता है निर्णय सहायता राशि देने के लिए बैठक होती है, जिसमें सचिव, मंडी प्रशासक व एसडीएम के प्रतिनिधि जांच कर निर्णय करते हैं। स्वीकृति मिलने पर फाइल निदेशालय भेजी जाती है।
फिर निदेशालय सहायता राशि भेजता है। लेकिन भरतपुर कृषि उपज मंडी समिति में किसानों के हितों की अनदेखी का आलम बरकरार है। दुर्घटना में घायल व मृतक किसानों के आश्रित अपने हक के लिए चक्कर लगाने को मजबूर हैं।
एफएसएल की रिपोर्ट नहीं भरतपुर शहर की कृषि उपज मंडी समिति में एक अप्रेल 2016 से नवम्बर 2016 तक 58 पत्रावलियों का निस्तारण किया गया। इसके बाद दिसम्बर 2016 से 17 मई 2017 तक करीब 18 पत्रावलियां जांच अधीन हैं। सूत्रों का कहना है कि अधिकांश पत्रावलियों का निस्तारण इसलिए अटका हुआ है कि उनमें एफएसएल की रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है।