भरतपुर

किसानों को नहीं मिल रहा मुनासिब भाव…

भरतपुर. खाद्यान्न मंडियों में बीते दिनों किसान कल्याण कोष टैक्स को लेकर व्यापारियों ने मंडियां बंद कर हड़ताल की थी।

भरतपुरMay 25, 2020 / 08:25 pm

pramod verma

किसानों को नहीं मिल रहा मुनासिब भाव…

भरतपुर. खाद्यान्न मंडियों में बीते दिनों किसान कल्याण कोष टैक्स को लेकर व्यापारियों ने मंडियां बंद कर हड़ताल की थी। हालांकि, राज्य सरकार ने दो प्रतिशत टैक्स को एक प्रतिशत कर दिया लेकिन यह निर्णय किसानों को घाटे का सौदा साबित हो रहा है। यह उन किसानों के लिए जो गेहूं को मंडी व्यापारी को बेच रहे हैं। इन्हें अब भाव में 50 से 55 रुपए प्रति क्विंटल का नुकसान हो रहा है। क्योंकि, टैक्स की घोषणा से पूर्व भाव लगभग 1790 से 1860 थे और अब 1720 से 1800 है। ऐसे में मंडियों में आढ़तियों को अनाज बेचने वाले किसानों को नुकसान है।
जिले में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद एक मई से शुरू हो गई। इसके लिए ग्राम सेवा सहकारी समितियां व क्रय-विक्रय सहकारी समिति ने कुल 31 खरीद केंद्र बनाए हैं। इनमें से आवक को देखते हुए 6 केंद्रों पर खरीद की जा रही है। इस बीच 06 मई को सरकार ने कृषक कल्याण कोष के तहत मंडियों में आढ़तियों की ओर से खरीद पर दो प्रतिशत टैक्स लगा दिया। इसे लेकर 14 से 23 मई तक जिले की मंडियों में व्यापारियों ने हड़ताल कर दी। तब सरकार ने इसे दो से घटाकर एक प्रतिशत कर दिया।
व्यापार संघ नवीन मंडी यार्ड के पूर्व अध्यक्ष नरेंद्र सिंघल का कहना है कि इसका असर भाव पर पड़ा, जो 1720 से 1800 प्रति क्विंटल रह गया। हालांकि, इसका प्रभाव समर्थन मूल्य पर सरकार को गेहूं बेचने वाले किसानों पर नहीं पड़ा है। क्योंकि, ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के बाद किसानों ने 1925 रुपए समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचा है। ऐसे में फर्क उन किसानों पर पड़ा है जो अपना गेहूं सरकार को नहीं देकर आढ़तियों को दे रहे हैं। उन्हें मुनासिब भाव नहीं मिल रहा। यह सब टैक्स बढ़ाने से हुआ है।

वहीं एक मई से 21 मई तक भरतपुर, कामां, नदबई, बयाना, डीग व वैर सहित छह केंद्रों पर समर्थन मूल्य पर 401 किसानों ने 1925 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से 18406 क्विंटल गेहूं सरकार को बेच दी है। मंडियों में हड़ताल के दौरान भी सरकारी खरीद जारी रही थी। इसमें प्रतिदिन के औसत से किसानों ने 1200 क्विंटल गेहूं समर्थन मूल्य पर बेचा है। कृषि उपज मंडी समिति के सचिव कैलाशचंद सिंघल ने बताया कि सरकार ने जो एक प्रतिशत टैक्स लगाया है यह किसानों के विकास के लिए है। इसमें किसी को नुकसान नहीं है। किसान अपनी फसल को समर्थन मूल्य पर भी बेच सकता है।
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