पहले पाले व बरसात ने बिगाड़ दी थी फसल बयाना इलाके में दिसम्ब व जनवरी माह में बरसात और पाले ने पानी की फसल को खासा नुकसान पहुंचाया था। गांव बागरैन के किसानों ने बताया कि बीते साल दिसम्बर और इस साल की शुरुआत जनवरी माह में सर्दी में भारी कोहरे व पाले से फसल बिगड़ गई थी। इससे इलाके में खरेरी, उमरै और खरबेरा में 350-400 किसानों की पान की फसल पूरी तरह से चौपट हो गई थी। उस समय किसानों को करीब 10 से 12 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा था। उसकी भरपाई किसान इस बार फसल से होने की उम्मीद जता रहे थे लेकिन इस बार लॉक डाउन ने उनका गणित बिगाड़ दिया। फसल के लिए किसान इस बार मध्य प्रदेश के मंदसौर से 500 रुपए के हिसाब से पान के पौधे लगाए थे, उनकी भी कीमत नहीं निकल पा रही है।
बयाना और वैर के पान की पहचान बयाना व वैर के पान की पहचान देश ही नहीं विदेशों तक है। इस इलाके का पान उत्तरप्रदेश, दिल्ली, हरियाणा के अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश समेत खाड़ी देशों तक सप्लाई होता है। स्थानीय पानी देसी होने से अलग ही स्वाद और तीखापान की वजह से यह काफी लोकप्रिय है। इसी बदौलत इलाके का पान विदेशों में भी अपनी रंगत जमाए हुए हैं।
मंडियां खुले तो कुछ बंधे उम्मीद किसानों का कहना है कि मण्डी खुले तो वह फसल की सप्लाई पहुंचा सके। लेकिन दिल्ली, आगरा, मथुरा और अलीगढ़ की पान की मंडियां कोरोना संक्रमण की रोकथाम के चलते इन दिनों बंद पड़ी हैं। मण्डियों नहीं खुलने से फसल को नुकसान पहुंच रहा है। ज्यादा दिन फसल को इस मौसम में सुरक्षित रखना मुश्किल है। किसानों का कहना है कि बीते तीन माह से फसल मण्डियों तक नहीं पहुंच पा रही है। इससे अब पान के पत्ते को नुकसान पहुंच रहा है। अगर कुछ दिन ऐसा ही रहा तो करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ सकता है।