मां-बाप का साया उठने के बाद अकेली रह गई दामिनी को अब जल्द नए मां-बाप मिलने जा रहे हैं। छह वर्षीय दामिनी को विदेश में रह रही दंपती ने गोद लिया है। हाल में सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) के जरिए दामिनी की रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूर्ण हुई है।
गौरतलब है कि दामिनी की मां का देहांत उसे जन्म देने और पिता बबलू की मौत करीब डेढ़ साल पहले हो चुकी है। दामिनी वर्तमान में राजकीय शिशुगृह में आवासरत है।दामिनी उस समय मीडिया में चर्चा में आई थी, जब उसका पिता बबलू एक कपड़े से उसे शरीर पर बांधकर रिक्शा चला रहा था। पत्रिका ने उस समय दामिनी की खबर प्रकाशित की और बाद में देशभर में हाईलाइट हो गई। बाद में उसकी देख-रेख के लिए देश-विदेश से लोगों ने राशि बैंक खाते में जमा कराई। करीब 26 लाख रुपए उसके खाते में जमा हुए थे, जो उसे बालिग होने पर मिलेंगे।
शिशुगृह में आवासरत हैं 17 बच्चे
शहर में सेवर स्थित राजकीय शिशुगृह में वर्तमान में 17 बच्चे आवासरत हैं। इसमें सात बच्चे एक साल के आसपास के हैं। शिशुगृह में करौली व सवाईमाधोपुर के इलाके में मिले अनाथ व लावारिस बच्चे भी रह रहे हैं। जनवरी 2016 से अभी तक 26 बालक-बालिकाओं को बाल कल्याण समिति के जरिए लीगल फ्री किया जा चुका है। इसमें से 21 बच्चों की कारा एजेंसी के जरिए अडॉप्शन की प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है। वहीं, इसके अलावा कुछ समय पहले चार बच्चों को भी लीगल फ्री किया है जबकि वर्तमान में सात बच्चों की प्रक्रिया चल रही है।
शहर में सेवर स्थित राजकीय शिशुगृह में वर्तमान में 17 बच्चे आवासरत हैं। इसमें सात बच्चे एक साल के आसपास के हैं। शिशुगृह में करौली व सवाईमाधोपुर के इलाके में मिले अनाथ व लावारिस बच्चे भी रह रहे हैं। जनवरी 2016 से अभी तक 26 बालक-बालिकाओं को बाल कल्याण समिति के जरिए लीगल फ्री किया जा चुका है। इसमें से 21 बच्चों की कारा एजेंसी के जरिए अडॉप्शन की प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है। वहीं, इसके अलावा कुछ समय पहले चार बच्चों को भी लीगल फ्री किया है जबकि वर्तमान में सात बच्चों की प्रक्रिया चल रही है।
शहर में तीन शिशुगृह संचालित
शहर में अनाथ, बेसहारा बच्चों के पालन-पोषण के लिए तीन शिशुगृह संचालित हैं। इसमें राजकीय गृह में 17, अपना घर आश्रम में 88 और एक एनजीओ द्वारा संचालित शिशुगृह में 5 बच्चे आवासरत हैं।
शहर में अनाथ, बेसहारा बच्चों के पालन-पोषण के लिए तीन शिशुगृह संचालित हैं। इसमें राजकीय गृह में 17, अपना घर आश्रम में 88 और एक एनजीओ द्वारा संचालित शिशुगृह में 5 बच्चे आवासरत हैं।
कारा के जरिए होती अडॉप्शन प्रक्रिया
सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) के जरिए देश में अनाथ व बेसहारा बच्चों को अडॉप्शन की प्रक्रिया होती है। यह संस्था नोडल बॉडी की तरह काम करती है। विशेष रूप से अनाथ, छोड़ दिए गए और आत्म-समर्पण करने वाले बच्चों के अडॉप्शन के लिए काम करती है। दंपती को कारा में ऑन-लाइन रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। फिर प्राथमिकता के आधार पर नम्बर आता है। एक दंपती को तीन बार चांस मिलला है।
सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) के जरिए देश में अनाथ व बेसहारा बच्चों को अडॉप्शन की प्रक्रिया होती है। यह संस्था नोडल बॉडी की तरह काम करती है। विशेष रूप से अनाथ, छोड़ दिए गए और आत्म-समर्पण करने वाले बच्चों के अडॉप्शन के लिए काम करती है। दंपती को कारा में ऑन-लाइन रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। फिर प्राथमिकता के आधार पर नम्बर आता है। एक दंपती को तीन बार चांस मिलला है।
– दामिनी को गोद लेने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। विदेश दंपती के नाम रजिस्ट्रेशन हुआ है। कारा एजेंसी के जरिए जल्द समिति को पत्र मिलेगा, जिस पर बच्ची को सुपुर्द करने की प्रक्रिया पूर्ण होगी।
सरोज लोहिया, अध्यक्ष बाल कल्याण समिति
सरोज लोहिया, अध्यक्ष बाल कल्याण समिति