सिपाही से कर्नल तक पहुंचे बैंसला कर्नल बैंसला का जन्म करौली जिले के मुडिया गांव में 12 सितंबर 1939 को हुआ। उनके पिता बच्चू सिंह भी फौज में थे। कर्नल बैंसला ने फौज में सिपाई के रूप में ज्वाइन कर राजपूताना राइफल्स में 196 2 में ंभारत-चीन युद्ध में भी बहादुरी दिखाई थी। कर्नल के पद तक पहुंचने के बाद वह 1991 में सेवानिवृत हुए। इसके बाद उन्होंने डांग क्षेत्र में गुर्जर समाज के लोगों को शिक्षा में पिछड़ा देखकर आरक्षण के लिए कदम उठाया। पहली बार 1996 में मांग उठाई। इसके बाद बैंसला ने 2004 में आरक्षण आंदोलन को तेज करने का फैसला लिया। वर्ष 2005 में पीपलखेड़ा पाटौली में आरक्षण आन्दोलन के दौरान पुलिस फायरिंग में गुर्जर आंदोलनकारियो की मौत के बाद भी कर्नल पटरियों पर जमे रहे। वर्ष 2007 में कर्नल बैंसला इसी मांग को लेकर फिर पटरियों पर बैठ गए। इसके बाद लोगों ने कर्नल बैंसला को पटरी वाले बाबा का नाम दिया। इस आन्दोलन का नेतृत्व भी कर्नल बैंसला ने किया। इसमें चोपडा कमेटी ने गुर्जर सहित 5 जातियों को एमबीसी में आरक्षण का प्रावधान लागू कराया, लेकिन मामले में 50 फीसदी की सीलिंग पार करने के कारण मामला कोर्ट में अटक गया। इसके बाद वर्ष 2008 में भाजपा की सरकार बदलने का बड़ा कारण गुर्जर आन्दोलन और पुलिस फायरिंग रहा। कर्नल बैंसला की अगुवाई में गुर्जर आरक्षण आन्दोलन पीलूपुरा में वर्ष 2008 , 2010, 2015 एवं 2020 में हुआ इसके अलावा कई महापंचायतें भी हुईं।