हिसार प्रयोगशाला में जांच के दौरान दोनों के सैंपल में ग्लेंडर्स बीमारी के लक्ष्मण पॉजिटिव मिले। जिसकी सूचना राजस्थान सरकार को दी। इस सूचना से पशुपालन विभाग में हड़कंप मच गया। जिस पर उपखंड स्तर पर सूचना देकर स्थानीय पशु चिकित्सा प्रभारी डॉ.तेज सिंह रीठा तहसीलदार त्रिलोक चंद गुप्ता सहित अन्य की दो टीम गठित की गई। दोनों टीमों ने 31 मई को गांव पहुंचकर दोनों पशुपालकों को रोग ग्रसित घोड़-घोड़ी को संवैधानिक नियम अनुसार आधुनिक वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करने के लिए सहमत करने का प्रयास किया। इसी सिलसिले में मंगलवार को विभाग की टीम ने पुलिस प्रशासन के गांव पहुंची तथा दोनों पशुपालकों से निस्तारण के लिए उन्हें सहमत करने का प्रयास किया इसमें से विरमा तो सहमत हो गया जबकि शिब्बा ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। बताया जा रहा है कि वह अपने घोड़े को लेकर मौके से भाग गया। उधर, टीम ने संक्रमित रोग से ग्रसित घोड़ी को बेहोशी की दवा देकर मार दिया और करीब 8 फीट गहरे गड्ढे में दफना दिया।